भारत में तंबाकू से मुँह का कैंसर: हर 3 में 1 नहीं बचता

भारत में तंबाकू से मुँह का कैंसर बढ़ रहा है, हर तीसरा मरीज पाँच साल में मर रहा है, तंबाकू की लत खतरनाक है

भारत में तंबाकू से मुँह का कैंसर: हर 3 में 1 नहीं बचता

हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को तंबाकू के खतरों के प्रति जागरूक करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 1987 में इस दिन की शुरुआत की थी ताकि लोग तंबाकू से होने वाले नुकसान को समझें और इसे छोड़ने की दिशा में कदम उठाएं।

 

विश्व तंबाकू निषेध दिवस क्यों मनाया जाता है?

तंबाकू दुनिया भर में मौत और बीमारियों की एक बड़ी वजह है। खासकर भारत जैसे देशों में, तंबाकू का सेवन बहुत सामान्य बात बन गई है। लेकिन इसके पीछे छिपे खतरों को समझना ज़रूरी है।

यह दिवस इसलिए मनाया जाता है:

  • ताकि लोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों को पहचान सकें

  • सरकारें तंबाकू नियंत्रण के लिए नीति बना सकें

  • युवाओं को तंबाकू की लत से बचाया जा सके

  • लोगों को तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित किया जा सके

 

इस साल की थीम क्या है?

हर साल WHO एक खास थीम तय करता है। साल 2025 की थीम है:

“Protecting children from tobacco industry interference”

इसका हिंदी अर्थ है: "बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना।"

इसका उद्देश्य है:

  • बच्चों और युवाओं को तंबाकू कंपनियों के झूठे प्रचार से बचाना

  • स्कूल और कॉलेजों में जागरूकता बढ़ाना

  • ऑनलाइन और ऑफलाइन तंबाकू विज्ञापनों पर रोक लगाना

  • अगली पीढ़ी को तंबाकू मुक्त बनाना

भारत में तंबाकू का बढ़ता खतरा

भारत में तंबाकू का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। यह सिर्फ एक आदत नहीं बल्कि एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है।

कुछ महत्वपूर्ण आँकड़े:

  • भारत में करीब 26 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं।

  • हर साल लगभग 13 लाख मौतें तंबाकू से जुड़ी बीमारियों की वजह से होती हैं।

  • मुँह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग और सांस की बीमारियां इसका मुख्य कारण हैं।

  • सबसे ज्यादा पीड़ित वर्ग निम्न और मध्यम आय वाले लोग हैं।

 

तंबाकू और भारत

तंबाकू भारत की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यह एक धीमा जहर है जो शरीर को अंदर से खत्म कर देता है।

भारत में तंबाकू के आम रूप

भारत में तंबाकू का सेवन कई रूपों में किया जाता है।

प्रमुख रूपों में शामिल हैं:

  • बीड़ी: यह एक पतली तंबाकू की रोल होती है जो पत्ते में लपेटी जाती है।

  • सिगरेट: सबसे सामान्य रूप, लेकिन खतरनाक है क्योंकि इसमें निकोटीन ज्यादा होता है।

  • गुटखा: तंबाकू, सुपारी और खुशबूदार पदार्थों का मिश्रण। यह मुँह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।

  • खैनी: यह चबाने वाली तंबाकू होती है जो उत्तर भारत में खासकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय है।

  • जर्दा, मावा और सादा पान: इनका भी इस्तेमाल बहुत से लोग करते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में।

इन सभी रूपों में तंबाकू शरीर को नुकसान पहुँचाता है, लेकिन कई लोग इसे आदत मानकर नजरअंदाज करते हैं।

 

तंबाकू का उपयोग किन राज्यों में सबसे ज़्यादा है?

भारत के कुछ राज्य ऐसे हैं जहाँ तंबाकू का सेवन सबसे अधिक होता है।

उच्च तंबाकू उपयोग वाले राज्य:

  • बिहार: खैनी और गुटखा का व्यापक इस्तेमाल

  • उत्तर प्रदेश: सभी रूपों में तंबाकू का प्रचलन

  • झारखंड: खैनी और बीड़ी का अधिक सेवन

  • ओडिशा: ग्रामीण इलाकों में तंबाकू सेवन आम बात है

  • मध्य प्रदेश: बीड़ी और गुटखा सबसे ज़्यादा बिकते हैं

इन राज्यों में तंबाकू की उपलब्धता आसान है और जागरूकता की कमी के कारण इसका असर सबसे अधिक है।

 

किस उम्र के लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं?

तंबाकू की लत किसी भी उम्र में लग सकती है, लेकिन कुछ आयु वर्ग इसके प्रति ज्यादा संवेदनशील हैं।

प्रभावित आयु वर्ग:

  • 15 से 24 वर्ष: यह सबसे संवेदनशील उम्र है जब लोग दोस्तों के दबाव, विज्ञापन या जिज्ञासा के कारण तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं।

  • 25 से 40 वर्ष: इस उम्र में तंबाकू एक आदत बन जाती है, और इसे छोड़ना मुश्किल हो जाता है।

  • 40 वर्ष से ऊपर: इस उम्र में तंबाकू के दुष्परिणाम जैसे कैंसर, हार्ट अटैक, और सांस की समस्याएं सामने आने लगती हैं।

क्यों तंबाकू एक सामाजिक समस्या है?

  • गरीब वर्ग इसका सबसे बड़ा शिकार है

  • महिलाएं और बच्चे भी परोक्ष रूप से प्रभावित होते हैं

  • आर्थिक नुकसान भी होता है क्योंकि लोग इलाज पर पैसा खर्च करते हैं

  • कार्यक्षमता घटती है और सामाजिक संबंधों पर भी असर पड़ता है

तंबाकू भारत की एक गंभीर और गहरी जड़ें जमाई हुई समस्या है। जब तक समाज, सरकार और हर व्यक्ति मिलकर इसे खत्म करने का प्रयास नहीं करेगा, तब तक इसका असर हमारी सेहत और आने वाली पीढ़ियों पर पड़ता रहेगा। इसलिए, अब समय है जागरूक होने का, और तंबाकू को हमेशा के लिए अलविदा कहने का।

 

 

मुँह का कैंसर

भारत में मुँह का कैंसर एक बेहद गंभीर और तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। यह कैंसर न सिर्फ जीवन के लिए खतरा है, बल्कि यह व्यक्ति की बोलने, खाने, और सामान्य जीवन जीने की क्षमता को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। इस गाइड में हम मुँह के कैंसर के लक्षण, कारण, तंबाकू का प्रभाव, भारत में स्थिति, और आवाज़ पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

मुँह के कैंसर के लक्षण क्या होते हैं?

अक्सर मुँह का कैंसर शुरुआती चरण में पता नहीं चलता, लेकिन कुछ लक्षण ऐसे होते हैं जिन्हें पहचानकर समय रहते इलाज किया जा सकता है।

मुख्य लक्षण:

·         मुँह में या जीभ पर लगातार रहने वाला घाव जो ठीक नहीं हो रहा

·         मुँह के किसी हिस्से में सफेद या लाल चकत्ते

·         खाने या बोलने में कठिनाई

·         जबड़े या गले में दर्द या अकड़न

·         मुँह खोलने में कठिनाई

·         दाँतों का अचानक ढीला हो जाना या फिटिंग ठीक ना बैठना

·         कान में लगातार दर्द, जबकि कोई संक्रमण ना हो

·         आवाज़ में बदलाव या भारीपन आना

इन लक्षणों में से कोई भी दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

 

तंबाकू : मुँह के कैंसर की सबसे बड़ी वजह

तंबाकू का सेवन क्यों है खतरनाक?

तंबाकू में निकोटिन, टार और कई जहरीले रसायन होते हैं जो सीधे मुँह की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं। यही कारण है कि तंबाकू मुँह के कैंसर की सबसे बड़ी वजह मानी जाती है।

तंबाकू के प्रकार जो कैंसर का कारण बनते हैं:

·         स्मोकिंग तंबाकू: बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि

·         चबाने वाला तंबाकू: गुटखा, खैनी, पान मसाला

·         सूँघने वाला तंबाकू: सुर्ती

तंबाकू से मुँह के कैंसर का रिश्ता:

·         तंबाकू सीधे मुँह की कोशिकाओं के संपर्क में आता है, जिससे कोशिकाएं कैंसरस (Cancerous) बनने लगती हैं।

·         तंबाकू की लत से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

·         लगातार तंबाकू चबाने से मुँह में घाव बनते हैं, जो कैंसर का रूप ले सकते हैं।

 

भारत में मुँह के कैंसर के आंकड़े

भारत में मुँह का कैंसर सबसे सामान्य कैंसरों में से एक है, खासकर पुरुषों में।

कुछ चौंकाने वाले आँकड़े:

·         भारत में हर साल लगभग 1.2 लाख नए मुँह के कैंसर के मामले सामने आते हैं।

·         हर साल करीब 80,000 मौतें सिर्फ मुँह के कैंसर से होती हैं।

·         ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा है क्योंकि वहाँ तंबाकू का सेवन अधिक होता है।

·         WHO के अनुसार, भारत में हर तीसरे कैंसर मरीज़ को मुँह का कैंसर होता है।

इन आंकड़ों से साफ है कि जागरूकता और रोकथाम ही एकमात्र उपाय है।

 

हर 3 में से 1 मरीज़ 5 साल से ज़्यादा नहीं जीता ये आँकड़ा क्यों डराता है?

कारण:

·         देर से पहचान: मुँह का कैंसर जब तक पता चलता है, तब तक वह चौथे चरण में पहुँच चुका होता है।

·         इलाज में देरी: कई बार लोग लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और डॉक्टर के पास देर से पहुँचते हैं।

·         कम संसाधन: ग्रामीण क्षेत्रों में सही इलाज की सुविधा नहीं होती।

·         तंबाकू का जारी रहना: कई मरीज इलाज के बाद भी तंबाकू का सेवन बंद नहीं करते।

समाधान:

·         जागरूकता अभियान

·         शुरुआती जांच की सुविधा

·         तंबाकू नियंत्रण कानूनों का सख्ती से पालन

·         स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा कार्यक्रम

 

आवाज़ पर असर: तंबाकू की मार

तंबाकू का असर सिर्फ मुँह तक सीमित नहीं रहता। यह गले, जीभ और स्वरयंत्र (Voice Box) को भी प्रभावित करता है।

तंबाकू का आवाज़ पर असर:

·         स्वरयंत्र में सूजन

·         आवाज़ भारी या करकश होना

·         बोलने में कठिनाई

·         कभी-कभी स्थायी रूप से आवाज़ खो जाना

ये लोग अधिक खतरे में:

कुछ पेशेवर ऐसे होते हैं जिनकी आजीविका उनकी आवाज़ पर निर्भर करती है। उनके लिए यह कैंसर और खतरनाक हो सकता है:

·         गायक

·         अध्यापक

·         रेडियो जॉकी

·         वक्ता

·         वकील

गले, जुबान और स्वरयंत्र के कैंसर का खतरा:

·         तंबाकू से उत्पन्न जहरीले रसायन सीधे गले की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं।

·         लगातार जलन और सूजन से ये कोशिकाएं कैंसरस बन सकती हैं।

·         स्वरयंत्र का कैंसर व्यक्ति को हमेशा के लिए बोलने से वंचित कर सकता है।

 

बचाव के तरीके: मुँह के कैंसर से कैसे बचें?

आदतें बदलें:

·         तंबाकू और गुटखा तुरंत छोड़ें

·         शराब का सेवन न करें

·         नियमित रूप से मुँह की जांच कराएँ

·         हेल्दी डाइट अपनाएँ जिसमें फल और हरी सब्जियाँ हों

·         विटामिन ए, सी और ई युक्त आहार लें

नियमित जांच क्यों जरूरी है?

·         साल में कम से कम एक बार डेंटल और ENT विशेषज्ञ से मुँह की जांच कराएं।

·         कोई भी घाव जो 2 हफ्ते से ज्यादा न भरे, तो डॉक्टर को दिखाएं।

खुद को कैसे प्रेरित करें तंबाकू छोड़ने के लिए?

·         कैंसर के भयावह परिणामों के बारे में पढ़ें

·         सफल लोगों की कहानियाँ पढ़ें जिन्होंने तंबाकू छोड़ा

·         परिवार के लिए अपनी जिम्मेदारी समझें

·         निकोटिन रिप्लेसमेंट थैरेपी या काउंसलिंग लें

मुँह का कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन समय रहते यदि इसके लक्षण पहचान लिए जाएं और सही कदम उठाए जाएं, तो इससे बचाव संभव है। तंबाकू इसका सबसे बड़ा कारण है, और इसे छोड़ना ही सबसे बड़ा उपाय है।

आपकी एक छोटी-सी आदत बदलाव ला सकती है। तंबाकू छोड़ें, ज़िंदगी चुनें।

 

बच्चों और युवाओं को तंबाकू से बचाना क्यों ज़रूरी है?

भारत में हर साल लाखों लोग तंबाकू के सेवन से अपनी जान गंवाते हैं। तंबाकू एक धीमा ज़हर है जो धीरे-धीरे शरीर को नष्ट करता है। ख़ासकर जब बच्चे और युवा इसकी चपेट में आते हैं, तो इसका असर और भी गंभीर हो जाता है। कम उम्र में तंबाकू शुरू करने से इसके खतरनाक परिणाम जीवनभर पीछा करते हैं। इसलिए बच्चों और युवाओं को तंबाकू से बचाना एक सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है।

कम उम्र में तंबाकू शुरू करने से खतरा ज़्यादा क्यों?

·         शरीर का विकास रुक जाता है: किशोर अवस्था में शरीर और दिमाग़ का विकास तेज़ी से होता है। तंबाकू इस प्रक्रिया को बाधित कर देता है।

·         आदत जल्दी लगती है: कम उम्र में शुरू करने से तंबाकू की लत जल्दी और गहरी लग जाती है।

·         बीमारियों का जोखिम: फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग, कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ जल्दी हो सकती हैं।

·         शैक्षणिक प्रदर्शन पर असर: तंबाकू के कारण ध्यान की कमी, थकान और नींद की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है।

विज्ञापन, दोस्तों का दबाव और फिल्मों का असर

बच्चे और युवा तंबाकू की ओर क्यों आकर्षित होते हैं, इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

·         आकर्षक विज्ञापन: रंगीन पैकेजिंग और विज्ञापनों में दिखाई जाने वाली ग्लैमर की दुनिया युवाओं को प्रभावित करती है।

·         फिल्मों में दिखाया जाना: जब हीरो फिल्म में धूम्रपान करता है, तो बच्चे उसे स्टाइल समझते हैं और उसकी नकल करने लगते हैं।

·         सामाजिक दबाव: दोस्तों के बीच खुद को बड़ा और "कूल" दिखाने की चाह में बच्चे तंबाकू आज़माते हैं।

·         ऑनलाइन प्रचार: सोशल मीडिया पर फैले ट्रेंड्स भी बच्चों को तंबाकू की ओर ले जाते हैं।

क्या कहती है सरकार की नीति?

भारत सरकार ने तंबाकू नियंत्रण के लिए कई कड़े कानून बनाए हैं:

·         COTPA एक्ट (2003): सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध, तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक, स्कूलों के 100 मीटर के भीतर तंबाकू बेचना अपराध है।

·         पैकेजिंग कानून: तंबाकू उत्पादों पर डरावनी चित्र और चेतावनी संदेश होना अनिवार्य है।

·         विज्ञापन पर रोक: तंबाकू उत्पादों के प्रचार पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है।

·         स्कूलों में अवेयरनेस प्रोग्राम: CBSE और राज्य बोर्डों के सहयोग से कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

 

रोकथाम और बचाव: क्या उपाय किए जा सकते हैं?

1. अभिभावकों की भूमिका:

·         बच्चों के साथ खुलकर बात करें।

·         तंबाकू के नुकसान के बारे में समझाएं।

·         खुद तंबाकू न लें, क्योंकि बच्चे माता-पिता को देखकर सीखते हैं।

2. स्कूल और कॉलेज:

·         नियमित स्वास्थ्य शिक्षा दें।

·         नुक्कड़ नाटक और चित्र प्रदर्शनी द्वारा जागरूकता फैलाएं।

·         हर स्कूल में काउंसलर की नियुक्ति हो।

3. सामुदायिक प्रयास:

·         पंचायत और नगरपालिकाओं को स्थानीय स्तर पर अभियान चलाना चाहिए।

·         धार्मिक और सामाजिक संगठनों को भी जुड़ना चाहिए।

4. मीडिया का जिम्मेदार उपयोग:

·         सकारात्मक कहानियाँ और सच्चे अनुभव दिखाएं।

·         सेलेब्रिटीज को जागरूकता के लिए जोड़ें।

 

कैसे छोड़ा जा सकता है तंबाकू?

तंबाकू की लत से बाहर आना मुश्किल ज़रूर है लेकिन नामुमकिन नहीं। निम्नलिखित उपायों से यह संभव है:

1. निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT):

·         यह थेरेपी शरीर को धीरे-धीरे निकोटीन से मुक्त करती है।

·         इसमें निकोटीन पैच, च्यूइंग गम और लोज़ेंज़ का इस्तेमाल होता है।

·         डॉक्टर की सलाह से इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

2. काउंसलिंग और हेल्पलाइन:

·         मानसिक समर्थन बेहद ज़रूरी है।

·         सरकार द्वारा 1800-11-2356 जैसे हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं।

·         NGOs भी मुफ्त काउंसलिंग सेवाएं देती हैं।

3. आदतें बदलें:

·         तंबाकू की तलब लगने पर कोई दूसरा कार्य करें जैसे टहलना, पानी पीना या गाना सुनना।

·         अपने पास तंबाकू न रखें।

·         ऐसे लोगों से दूर रहें जो तंबाकू लेते हैं।

 

सरकार और NGO द्वारा चलाए जा रहे अभियान

सरकारी पहल:

·         राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP): देश भर में तंबाकू नियंत्रण के लिए जागरूकता फैलाने का कार्यक्रम।

·         स्कूल हेल्थ प्रोग्राम: स्वास्थ्य शिक्षा के तहत तंबाकू पर रोक की जानकारी देना।

NGO की भूमिका:

·         HRIDAY, Salaam Bombay Foundation, और Voice of Tobacco Victims (VoTV) जैसे संगठन बच्चों और युवाओं पर केंद्रित कार्यक्रम चलाते हैं।

·         नुक्कड़ नाटक, प्रतियोगिताएं और काउंसलिंग शिविर आयोजित करते हैं।

स्कूल और कॉलेज में जागरूकता ज़रूरी क्यों?

·         तंबाकू की शुरुआत अधिकतर स्कूल के दिनों में होती है।

·         सही उम्र में सही जानकारी देने से लत को रोका जा सकता है।

·         जागरूकता से बच्चे आत्मविश्वास से 'ना' कहना सीखते हैं।

·         शिक्षक और प्राचार्य सकारात्मक रोल मॉडल बन सकते हैं।

·         शिक्षा संस्थानों को तंबाकू मुक्त क्षेत्र घोषित करना चाहिए।

बच्चों और युवाओं को तंबाकू से बचाना एक राष्ट्र निर्माण का हिस्सा है। कम उम्र में तंबाकू की लत उनके भविष्य को अंधकार में डाल सकती है। सरकार, समाज, स्कूल, माता-पिता और मीडियासभी को मिलकर इस खतरे से लड़ना होगा। जागरूकता, सही मार्गदर्शन और सामूहिक प्रयासों से हम आने वाली पीढ़ी को तंबाकू से बचा सकते हैं। यही हमारा नैतिक और सामाजिक कर्तव्य है।

 

समाधान: अब नहीं तो कब?

तंबाकू एक ऐसा ज़हर है जो चुपचाप जीवन को निगल रहा है। हर साल लाखों लोग इससे जान गंवा रहे हैं। बावजूद इसके, हममें से कई लोग अभी भी चुप हैं। क्या अब भी चुप रहना सही है? अगर आज नहीं रुके, तो कल बहुत देर हो जाएगी। आइए मिलकर समझें कि तंबाकू की इस बीमारी से समाज को कैसे बचाया जा सकता है और इसमें हर व्यक्ति की क्या भूमिका हो सकती है।

तंबाकू: एक धीमा ज़हर

तंबाकू का सेवन चाहे सिगरेट के रूप में हो या गुटखा और पान मसाले के रूप में, यह शरीर के हर हिस्से को नुकसान पहुंचाता है। इसके कारण कैंसर, हार्ट अटैक, फेफड़ों की बीमारी और गर्भवती महिलाओं में गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

तंबाकू से होने वाली बीमारियाँ:

·         फेफड़ों का कैंसर

·         मुँह का कैंसर

·         हृदय रोग

·         लकवा

·         साँस की बीमारियाँ

·         गर्भवती महिलाओं में भ्रूण को नुकसान

हर व्यक्ति की भूमिका ,समाधान की ओर पहला कदम

तंबाकू के खिलाफ जंग कोई एक व्यक्ति अकेले नहीं लड़ सकता। इसके लिए हर व्यक्ति को अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी। चाहे वह एक अभिभावक हो, शिक्षक हो या डॉक्टर।

1. परिवार की भूमिका

परिवार ही बच्चे की पहली पाठशाला है। यदि घर का वातावरण स्वस्थ और सकारात्मक हो, तो बच्चे तंबाकू जैसी आदतों से दूर रह सकते हैं।

परिवार कैसे मदद कर सकता है:

·         बच्चों को शुरू से ही तंबाकू के नुकसान के बारे में बताएं।

·         घर में कोई भी सदस्य तंबाकू का सेवन न करे।

·         बच्चों को टीवी और फिल्मों में दिखाए गए तंबाकू के दुष्प्रभावों की सही जानकारी दें।

·         पारिवारिक चर्चाओं में तंबाकू की हानियों पर बात करें।

 

2. शिक्षकों की भूमिका

शिक्षक समाज के निर्माणकर्ता होते हैं। वे बच्चों के विचारों को दिशा दे सकते हैं। यदि शिक्षक अपने व्यवहार और शिक्षा से तंबाकू के खिलाफ जागरूकता फैलाएं, तो यह बदलाव की शुरुआत हो सकती है।

शिक्षक क्या कर सकते हैं:

·         स्कूलों में तंबाकू निषेध दिवस मनाएं।

·         छात्रों को निबंध, चित्रकला और भाषण प्रतियोगिताओं के माध्यम से जागरूक करें।

·         स्वयं तंबाकू मुक्त रहें ताकि बच्चे उनसे सीख सकें।

·         बच्चों को आत्म-विश्वास सिखाएं ताकि वे गलत आदतों से दूर रह सकें।

 

3. डॉक्टरों की भूमिका

डॉक्टर न केवल बीमारियों का इलाज करते हैं, बल्कि वे समाज को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित भी कर सकते हैं।

डॉक्टर कैसे सहयोग कर सकते हैं:

·         मरीजों को तंबाकू के दुष्परिणामों के बारे में विस्तार से समझाएं।

·         नशामुक्ति केंद्रों के बारे में लोगों को जानकारी दें।

·         जागरूकता शिविर लगाएं और लोगों को तंबाकू छोड़ने के उपाय बताएं।

·         तंबाकू सेवन करने वाले मरीजों को काउंसलिंग दें।

 

समाज को एकजुट होकर तंबाकू के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी

यदि हम सब मिलकर तंबाकू के खिलाफ खड़े हो जाएं, तो यह लड़ाई आसान हो जाएगी। बदलाव तब ही आएगा जब हर नागरिक, हर संस्था और हर वर्ग मिलकर एक सुर में बोले “अब बहुत हुआ, तंबाकू नहीं चाहिए।”

हम सब मिलकर क्या कर सकते हैं?

·         अपने क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाएं।

·         तंबाकू बेचने वालों को कानून का पालन करवाएं।

·         स्कूलों और कॉलेजों में नशा विरोधी क्लब शुरू करें।

·         सोशल मीडिया पर तंबाकू के विरोध में पोस्ट और जानकारी साझा करें।

·         पंचायत और समाज के बुजुर्गों की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाएं।

 

अगर आज नहीं रुके तो कल बहुत देर हो जाएगी

हर बीतता हुआ दिन तंबाकू से जुड़े खतरों को और गहरा कर रहा है। जो लोग आज तंबाकू का सेवन कर रहे हैं, वे न केवल अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि अपने परिवार और समाज को भी खतरे में डाल रहे हैं।

क्या होता है जब हम देर करते हैं?

·         कैंसर का इलाज संभव नहीं रह जाता।

·         परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है।

·         बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है।

·         समय रहते कदम न उठाने पर पछतावा ही हाथ आता है।

इसलिए जरूरी है कि तुरंत कार्रवाई की जाए। आज नहीं तो कब?

 

तंबाकू से मुँह का कैंसर से सम्बंधित कुछ सवाल-जवाब यानि FAQs :--

1. तंबाकू क्या होता है?

तंबाकू एक नशे वाला पदार्थ है, जिसे लोग सिगरेट, बीड़ी, गुटखा और पान मसाले के रूप में खाते या पीते हैं।

2. तंबाकू से कौन-कौन सी बीमारियाँ होती हैं?

·         मुँह का कैंसर

·         फेफड़ों का कैंसर

·         हार्ट अटैक

·         साँस की बीमारी

·         लकवा

3. तंबाकू छोड़ना क्यों ज़रूरी है?

क्योंकि यह जानलेवा है और धीरे-धीरे शरीर को नष्ट कर देता है।

4. तंबाकू खाने से कितने दिन में कैंसर हो सकता है?

यह व्यक्ति की आदत और शरीर पर निर्भर करता है, लेकिन लगातार सेवन से कुछ सालों में कैंसर हो सकता है।

5. तंबाकू छोड़ने के घरेलू उपाय कौन से हैं?

·         नींबू चूसना

·         सौंफ और तुलसी चबाना

·         ज्यादा पानी पीना

·         व्यायाम करना

6. क्या तंबाकू से आवाज़ भी चली जाती है?

हाँ, तंबाकू गले के कैंसर का कारण बनता है, जिससे आवाज़ चली जाती है।

7. तंबाकू से सबसे ज्यादा खतरा किसे है?

·         बच्चों को

·         गर्भवती महिलाओं को

·         बुजुर्गों को

·         तंबाकू सेवन करने वालों को

8. स्कूलों में तंबाकू विरोधी शिक्षा क्यों ज़रूरी है?

ताकि बच्चे छोटी उम्र से ही इसके खतरों को समझ सकें और इससे बचें।

9. तंबाकू खाने वाले को कैसे समझाएं?

प्यार और समझदारी से बात करें, नुकसान बताएं और तंबाकू छोड़ने में मदद करें।

10. तंबाकू नशा क्यों है?

क्योंकि इसमें निकोटिन होता है, जो दिमाग को लत लगाता है।

11. क्या तंबाकू सिर्फ सिगरेट में होता है?

नहीं, यह बीड़ी, गुटखा, पान मसाला, हुक्का और खैनी में भी होता है।

12. क्या डॉक्टर तंबाकू छुड़ा सकते हैं?

हाँ, डॉक्टर सलाह, दवाइयाँ और काउंसलिंग से मदद कर सकते हैं।

13. तंबाकू का असर कितने समय तक रहता है?

हर बार सेवन करने से इसका असर कुछ घंटे तक रहता है, लेकिन शरीर में लंबे समय तक जहर बनकर जमा होता है।

14. क्या तंबाकू पर रोक है?

हाँ, सार्वजनिक स्थानों पर रोक है और इसके विज्ञापन भी प्रतिबंधित हैं।

15. बच्चे तंबाकू से कैसे बच सकते हैं?

अगर परिवार और स्कूल सही शिक्षा दें और खुद इसका सेवन न करें।

16. तंबाकू पर सरकार क्या कर रही है?

·         कानून बना रही है

·         टैक्स बढ़ा रही है

·         विज्ञापनों पर रोक लगा रही है

·         स्कूलों में जागरूकता फैला रही है

17. क्या तंबाकू का सेवन छोड़ने से शरीर ठीक हो सकता है?

हाँ, अगर समय रहते छोड़ा जाए तो शरीर खुद को ठीक कर लेता है।

18. गुटखा खाने से क्या नुकसान होता है?

·         मुँह का कैंसर

·         मसूड़ों की बीमारी

·         आवाज़ में बदलाव

·         बदबूदार मुँह

19. क्या सिगरेट से फेफड़े खराब होते हैं?

हाँ, यह सबसे बड़ा कारण है फेफड़ों के कैंसर और टीबी का।

20. क्या तंबाकू की लत छूट सकती है?

हाँ, सही मदद और मनोबल से यह लत पूरी तरह छूट सकती है।

21. तंबाकू से समाज को कैसे नुकसान होता है?

·         बीमारियाँ बढ़ती हैं

·         खर्च बढ़ता है

·         काम करने की ताकत घटती है

22. क्या योग से तंबाकू की लत छुट सकती है?

हाँ, योग और ध्यान से मन मजबूत होता है, जिससे तंबाकू छोड़ना आसान होता है।

23. कौन-कौन सी दवाइयाँ तंबाकू छुड़ाने में मदद करती हैं?

·         निकोटिन गम

·         निकोटिन पैच

·         बुप्रोपियोन टैबलेट
(डॉक्टर की सलाह जरूरी है)

24. तंबाकू छोड़ने में कितना समय लगता है?

हर व्यक्ति अलग होता है, कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक लग सकते हैं।

25. तंबाकू छोड़ने के बाद शरीर में क्या बदलाव आते हैं?

·         साँस लेना आसान होता है

·         खाना अच्छा लगता है

·         आवाज़ बेहतर होती है

·         एनर्जी बढ़ती है

26. क्या तंबाकू से मौत हो सकती है?

हाँ, हर साल लाखों लोग इससे मरते हैं।

27. क्या समाज तंबाकू के खिलाफ कुछ कर सकता है?

हाँ, सभी मिलकर जागरूकता फैला सकते हैं और लोगों को रोक सकते हैं।

28. तंबाकू के विज्ञापन क्यों खतरनाक हैं?

क्योंकि ये बच्चों और युवाओं को प्रभावित करते हैं।

29. क्या पान मसाला तंबाकू होता है?

कुछ पान मसाले में तंबाकू होता है, जिसे "जर्दा" कहते हैं।

30. क्या निकोटिन एक जहर है?

हाँ, यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और लत पैदा करता है।

31. क्या गर्भवती महिला को तंबाकू से दूर रहना चाहिए?

बिलकुल, क्योंकि इससे बच्चे को गंभीर नुकसान हो सकता है।

32. क्या तंबाकू खाने से दाँत खराब होते हैं?

हाँ, इससे दाँत पीले हो जाते हैं और गिरने भी लगते हैं।

33. क्या किशोरों को तंबाकू से ज्यादा खतरा है?

हाँ, क्योंकि वे जल्दी आदत में फँस जाते हैं और उनका शरीर कमजोर होता है।

34. क्या तंबाकू छोड़ने से वजन बढ़ता है?

कुछ मामलों में हाँ, पर यह सही खानपान और एक्सरसाइज से नियंत्रित किया जा सकता है।

35. क्या गांवों में तंबाकू ज्यादा खाया जाता है?

हाँ, जानकारी की कमी और सस्ते दामों की वजह से।

36. क्या एक बार तंबाकू खाने से कुछ होता है?

एक बार से बड़ा नुकसान नहीं, लेकिन आदत लग सकती है जो खतरनाक है।

37. क्या बीड़ी सिगरेट से कम खतरनाक है?

नहीं, बीड़ी में भी उतना ही तंबाकू होता है और ज्यादा धुआँ होता है।

38. क्या तंबाकू सेवन पर जुर्माना लगता है?

हाँ, खासकर सार्वजनिक स्थानों पर खाने पर जुर्माना लगता है।

39. तंबाकू से कैंसर कैसे होता है?

तंबाकू में 70 से ज्यादा कैंसर फैलाने वाले रसायन होते हैं।

40. तंबाकू का सेवन कौन रोक सकता है?

आप खुद, परिवार, डॉक्टर, शिक्षक और समाज – सभी मिलकर।

41. क्या बच्चे भी तंबाकू खाते हैं?

दुखद है कि हाँ, कुछ जगहों पर बच्चे भी गुटखा या खैनी खाना शुरू कर देते हैं।

42. क्या मोबाइल ऐप्स से तंबाकू की लत छूट सकती है?

हाँ, कई ऐप्स ट्रैकिंग, मोटिवेशन और टिप्स से मदद करते हैं।

43. तंबाकू के बिना शांति कैसे पाएं?

योग, ध्यान, गहरी साँसें, अच्छी नींद और व्यायाम से मन शांत रखा जा सकता है।

44. क्या परिवार की मदद से तंबाकू छोड़ा जा सकता है?

हाँ, परिवार का साथ बहुत जरूरी होता है।

45. क्या तंबाकू खाने से लिवर पर असर होता है?

हाँ, यह लिवर और किडनी पर भी बुरा असर डालता है।

46. क्या सभी तंबाकू उत्पाद हानिकारक हैं?

हाँ, चाहे किसी भी रूप में हो, यह सभी हानिकारक हैं।

47. क्या तंबाकू की लत को सिर्फ इच्छा से छोड़ा जा सकता है?

हाँ, अगर मन मजबूत हो तो संभव है।

48. क्या भारत में तंबाकू पर प्रतिबंध है?

कुछ हद तक हाँ, पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है।

49. तंबाकू छोड़ने के बाद फेफड़े कितने समय में ठीक होते हैं?

कुछ हफ्तों में सुधार शुरू हो जाता है और एक साल में काफी ठीक हो सकते हैं।

50. अब नहीं तो कब? यह नारा क्यों जरूरी है?

क्योंकि हर दिन देरी करने से तंबाकू और ज्यादा नुकसान करता है। बदलाव की शुरुआत आज से ही होनी चाहिए।

 

 

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