Nutrition Labels (पोषण लेबल) पढ़ने का सही तरीका

पोषण लेबल Nutrition Labels को सही तरीके से पढ़ने और समझने का आसान तरीका, जिससता है

Nutrition Labels (पोषण लेबल) पढ़ने का सही तरीका

पोषण लेबल क्या होता है?

आज के समय में जब अधिकतर लोग पैक्ड या डिब्बाबंद खाना खाते हैं, तब पोषण लेबल पढ़ना सीखना बहुत जरूरी हो जाता है। पोषण लेबल, जिसे न्यूट्रिशन लेबल भी कहा जाता है, वह जानकारी होती है जो खाने की चीज़ के पैकेट पर दी जाती है। इसमें उस चीज़ में मौजूद कैलोरी, फैट, शुगर, प्रोटीन, फाइबर और विटामिन्स की मात्रा लिखी होती है।

अब सवाल है – इसे पढ़ना क्यों जरूरी है?

दरअसल, बिना जानकारी के हम कुछ भी खा लेते हैं। लेकिन:

  • अगर हमें पता हो कि हम क्या खा रहे हैं,

  • उसमें कितनी कैलोरी और शुगर है,

  • और वह हमारी सेहत के लिए ठीक है या नहीं,

तो हम बेहतर फैसले ले सकते हैं।

पोषण लेबल समझने के फायदे:

  • वजन बढ़ने से बचाव

  • ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ पर नियंत्रण

  • बच्चों को सही और संतुलित भोजन देना

  • सही मात्रा में पोषण लेना

  • बीमारियों से सुरक्षा

इसके अलावा, जब हम बाजार में कोई सामान खरीदते हैं, तो यह जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है कि उसमें कौन-कौन से तत्व हैं। यही नहीं, स्वस्थ जीवन जीने के लिए सही भोजन का चुनाव तभी संभव है जब हम पोषण लेबल पढ़ना जानते हों। इसलिए, अगली बार जब आप कोई पैकेट खरीदें, तो उसका पोषण लेबल जरूर पढ़ें।

 

पोषण लेबल कहां होता है :-

जब आप कोई भी पैकेज्ड खाना या डब्बाबंद चीज़ खरीदते हैं, तो उसमें सिर्फ ब्रांड का नाम या स्वाद ही नहीं लिखा होता, बल्कि उसमें एक बहुत महत्वपूर्ण चीज़ भी होती है – पोषण लेबल। यही पोषण लेबल आपको बताता है कि उस चीज़ को खाने से आपको क्या-क्या पोषण मिलेगा और वह आपकी सेहत के लिए कितना सही या गलत है।

पोषण लेबल आमतौर पर कहां पाया जाता है?

यह सवाल बहुत आम है, खासकर जब कोई व्यक्ति हेल्दी खाने की ओर ध्यान देना शुरू करता है। अच्छी बात यह है कि इसका जवाब बेहद सरल है:

  • पोषण लेबल अधिकतर पैकेज्ड खाने के पीछे या किनारे की तरफ होता है।

  • यह एक छोटे बॉक्स के रूप में दिया जाता है, जिसमें काले बॉर्डर और सफेद बैकग्राउंड पर जानकारी लिखी होती है।

  • कभी-कभी यह साइड फ्लैप या बॉटम पैनल पर भी हो सकता है, लेकिन यह हमेशा उसी पैक के हिस्से पर होता है जहां बाकी डिटेल्स (जैसे निर्माण तिथि और मूल्य) दी जाती हैं।

कैसे पहचानें कि यह पोषण लेबल है?

हालांकि यह बॉक्स देखने में छोटा लगता है, लेकिन उसमें बहुत जरूरी बातें लिखी होती हैं। इसमें नीचे दिए गए प्रमुख तत्व होते हैं:

  • कैलोरी की मात्रा

  • सर्विंग साइज (एक बार खाने की मात्रा)

  • फैट (वसा) – कुल फैट, सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट

  • प्रोटीन की मात्रा

  • कार्बोहाइड्रेट, शुगर और फाइबर

  • विटामिन और मिनरल्स

  • % Daily Value – जो यह बताता है कि रोज की ज़रूरत का कितना प्रतिशत इसमें है

अब जानिए क्यों ज़रूरी है पोषण लेबल को पहचानना?

बहुत से लोग बिना पढ़े ही कोई भी चीज़ खा लेते हैं, लेकिन:

  • जब आप पोषण लेबल पढ़ना जानते हैं,

  • और यह भी समझते हैं कि यह कहां होता है,

  • तब आप अपने खाने को समझदारी से चुन सकते हैं।

पोषण लेबल ढूंढ़ते समय इन बातों का रखें ध्यान:

  • हमेशा पीछे की तरफ देखें – अधिकतर जानकारी वहीं होती है

  • बॉक्स या टेबल का आकार देखें – यह सादा और बॉर्डर वाला होता है

  • अगर नहीं दिख रहा, तो किनारे या नीचे देखें – कभी-कभी कंपनियां जगह बचाने के लिए लेबल को किनारे या नीचे देती हैं

  • पैक खोलने से पहले ही देखें – क्योंकि कई बार एक बार खुलने के बाद जानकारी साफ नहीं दिखती

क्यों ज़रूरी है यह जानकारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में?

आज के दौर में जहां हर चीज़ जल्दी और पैक्ड मिलती है, वहां सेहतमंद रहना तभी संभव है जब हम जानें कि हम क्या खा रहे हैं। पोषण लेबल जानने और उसे सही जगह पर ढूंढ़ने की आदत से आप:

  • अपनी और अपने परिवार की सेहत का ध्यान रख सकते हैं

  • बढ़ती बीमारियों से बच सकते हैं

  • बच्चों को सही खानपान की सीख दे सकते हैं

  • फालतू कैलोरी और फैट से बच सकते हैं

इसलिए, अगली बार जब भी आप कोई भी पैकेट खरीदें – चाहे वह बिस्किट हो, नमकीन हो या कोई ड्रिंक – पहले उसका पोषण लेबल ढूंढ़ें और उसकी जानकारी समझें। यह एक छोटा सा कदम है, जो आपकी सेहत को बेहतर बना सकता है।

 

सर्विंग साइज क्या होती है :-

जब आप किसी भी पैकेज्ड फूड का पोषण लेबल पढ़ते हैं, तो एक शब्द बार-बार दिखाई देता है – सर्विंग साइज। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सर्विंग साइज का मतलब क्या होता है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।

सर्विंग साइज क्या होती है?

सर्विंग साइज का मतलब होता है – एक बार में खाने की सुझाई गई मात्रा। यह कोई भी तय मात्रा हो सकती है, जैसे:

  • 1 कप दूध

  • 2 बिस्किट

  • 1 स्लाइस ब्रेड

  • 100 ग्राम चावल

इसका मतलब यह नहीं कि आप उतना ही खाएं, बल्कि इसका उद्देश्य यह बताना है कि पोषण जानकारी उस मात्रा के लिए दी गई है।

क्यों जरूरी है सर्विंग साइज को समझना?

बहुत से लोग यही सोचते हैं कि पूरा पैकेट खाने पर उतनी ही कैलोरी मिलेगी जितनी लेबल पर लिखी होती है। जबकि ऐसा नहीं होता। इसलिए:

  • अगर आप एक से ज़्यादा सर्विंग खा रहे हैं, तो आपको गुना करके कैलोरी और फैट जोड़ना होगा

  • उदाहरण के लिए, अगर एक बिस्किट में 50 कैलोरी है और आपने 4 खा लिए, तो आपने 200 कैलोरी ले ली।

  • यही गलती वजन बढ़ने और गलत डाइट का कारण बनती है।

गलतफहमी से कैसे बचें?

बहुत से लोग पोषण लेबल पढ़ते तो हैं, लेकिन सर्विंग साइज को नजरअंदाज कर देते हैं। इससे कई समस्याएं होती हैं:

  • जरूरत से ज़्यादा कैलोरी का सेवन

  • गलत समझ कि खाना हेल्दी है

  • बच्चों को अधिक मात्रा देना

इससे बचने के लिए नीचे दी गई बातों का ध्यान रखें:

  • हमेशा सर्विंग साइज पहले देखें

  • फिर Total Servings in the Pack चेक करें

  • हर बार सोचें: मैं कितना खा रहा हूं, और लेबल कितने की जानकारी दे रहा है?

सर्विंग साइज समझने के फायदे

  • डायबिटीज और ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण

  • संतुलित भोजन की आदत

  • कैलोरी गिनना आसान होता है

  • बच्चों और बुजुर्गों को सही मात्रा देना आसान होता है

कैसे पहचानें कि सर्विंग साइज कितनी है?

लेबल पर आमतौर पर यह इस तरह लिखा होता है:

  • Serving Size: 30g (about 1 cup)

  • Servings per Container: 3

इसका मतलब हुआ कि पूरे पैक में 3 बार खाने की मात्रा है, और हर बार 30 ग्राम खाना चाहिए।

सर्विंग साइज को समझना उतना ही जरूरी है जितना पोषण लेबल पढ़ना। यदि आप इसे नजरअंदाज करते हैं, तो आप अनजाने में कैलोरी, फैट और शुगर की मात्रा जरूरत से ज़्यादा ले सकते हैं। इसलिए अगली बार जब आप कुछ भी खाएं, तो सिर्फ यह मत देखें कि उसमें क्या-क्या है, बल्कि यह भी देखें कि वह मात्रा किस लिए दी गई है। यही आदत धीरे-धीरे आपके खानपान को हेल्दी बना सकती है।

 

कैलोरी क्या होती है और यह क्यों ज़रूरी है :-

हम दिन भर कुछ न कुछ खाते हैं – कभी खाना, कभी नाश्ता और कभी स्नैक्स। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये चीज़ें हमें ऊर्जा कैसे देती हैं? इसका जवाब है – कैलोरी। अब सवाल उठता है, कैलोरी क्या होती है? और यह इतनी जरूरी क्यों है? आइए, बहुत ही आसान भाषा में समझते हैं।

कैलोरी का मतलब क्या है?

कैलोरी एक ऊर्जा की इकाई होती है। जब हम खाना खाते हैं, तो वह हमारे शरीर को ऊर्जा देता है। उसी ऊर्जा को हम "कैलोरी" कहते हैं।

  • आसान भाषा में कहें तो, कैलोरी वह ईंधन है जो हमारे शरीर को चलता है।

  • जैसे गाड़ी को पेट्रोल चाहिए, वैसे ही शरीर को कैलोरी चाहिए।

  • बिना कैलोरी के हम ना तो दौड़ सकते हैं, ना सोच सकते हैं और ना ही सांस ले सकते हैं।

शरीर को रोज़ कितनी कैलोरी चाहिए?

हर इंसान की कैलोरी की ज़रूरत अलग होती है। यह उसकी उम्र, वजन, काम और जीवनशैली पर निर्भर करता है।

नीचे कुछ सामान्य औसत दिए गए हैं:

  • बच्चे (5–12 साल): 1400 से 2000 कैलोरी

  • महिलाएं (वयस्क): 1800 से 2200 कैलोरी

  • पुरुष (वयस्क): 2200 से 2800 कैलोरी

  • ज्यादा शारीरिक मेहनत वाले लोग: 3000 या उससे ज़्यादा

ध्यान दें: अगर आप आराम करते रहते हैं तो कम कैलोरी चाहिए होती है, लेकिन अगर आप दौड़ते-भागते हैं तो ज़्यादा कैलोरी की ज़रूरत होती है।

ज्यादा कैलोरी से क्या नुकसान हो सकता है?

अगर आप जरूरत से ज़्यादा कैलोरी खाते हैं और शरीर उसे इस्तेमाल नहीं करता, तो वह फैट में बदल जाती है। इसका असर सीधा आपकी सेहत पर पड़ता है।

नीचे देखें ज्यादा कैलोरी लेने से होने वाले नुकसान:

  • वजन तेजी से बढ़ता है

  • डायबिटीज (मधुमेह) का खतरा बढ़ता है

  • ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है

  • दिल की बीमारियां हो सकती हैं

  • शरीर में थकान और सुस्ती बनी रहती है

इसलिए, यह जरूरी है कि जितनी कैलोरी चाहिए उतनी ही लें, उससे ज़्यादा नहीं

कैसे जानें कि खाना कितनी कैलोरी दे रहा है?

जब भी आप कोई पैकेट वाला खाना खरीदते हैं, तो पोषण लेबल जरूर देखें। उसमें लिखा होता है:

  • प्रति सर्विंग कितनी कैलोरी है

  • पूरे पैकेट में कितनी सर्विंग हैं

  • अतिरिक्त शुगर, फैट वगैरह की जानकारी भी मिलती है

ध्यान रखें: सिर्फ कम कैलोरी खाना ही सही तरीका नहीं है, संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है।

कैलोरी को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि:

  • इससे आपको पता चलता है कि क्या खाना आपकी सेहत के लिए ठीक है

  • आप वजन को नियंत्रित रख सकते हैं

  • आप सही भोजन चुनने में सक्षम हो जाते हैं

  • लंबे समय में आप बीमारियों से बच सकते हैं

इसलिए अगली बार जब भी आप खाना खाएं या कुछ खरीदें, तो कैलोरी की जानकारी जरूर देखें और सोच-समझकर खाएं

 

फैट (वसा) को कैसे समझें :-

जब भी हम कोई पैकेज्ड फूड खरीदते हैं, तो उसमें फैट (वसा) की जानकारी ज़रूर होती है। लेकिन अधिकतर लोग टोटल फैट, सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट जैसे शब्दों को समझ नहीं पाते। इससे गलत खाने की संभावना बढ़ जाती है। आइए आज इसे बहुत आसान शब्दों में समझते हैं।

फैट क्या होता है?

फैट यानी वसा, एक जरूरी पोषक तत्व है जो हमें ऊर्जा देता है और शरीर के कई कामों में मदद करता है। लेकिन जरूरी यह है कि हम किस तरह की वसा खा रहे हैं, क्योंकि हर फैट एक जैसा नहीं होता।

1. टोटल फैट (Total Fat) क्या होता है?

  • यह कुल वसा की मात्रा को बताता है जो एक सर्विंग में मौजूद होती है।

  • इसमें सभी प्रकार की वसा शामिल होती हैं – अच्छी और बुरी दोनों।

उदाहरण: अगर लेबल पर लिखा है “Total Fat – 10g”, तो इसका मतलब है उस खाने की एक सर्विंग में कुल 10 ग्राम वसा है।

2. सैचुरेटेड फैट (Saturated Fat) क्या होता है?

  • यह वह फैट है जो मुख्य रूप से जानवरों के उत्पादों में पाया जाता है जैसे – घी, मक्खन, चीज़, रेड मीट।

  • अधिक मात्रा में लेने से यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है और दिल की बीमारी का खतरा होता है।

इसलिए: इसे सीमित मात्रा में ही खाएं।

3. ट्रांस फैट (Trans Fat) क्या होता है?

  • यह सबसे खतरनाक फैट माना जाता है।

  • यह प्रोसेस्ड फूड जैसे – बिस्किट, नमकीन, फ्रेंच फ्राइज, केक और बेक्ड सामान में पाया जाता है।

  • यह “खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL)” को बढ़ाता है और “अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL)” को घटाता है।

इसलिए: ट्रांस फैट से हमेशा बचें।

कौन-सी वसा अच्छी होती है?

अच्छी वसा यानी “Unsaturated Fats” जो शरीर के लिए फायदेमंद होती है:

  • मोनोअनसैचुरेटेड फैट (Monounsaturated): जैतून का तेल, मूंगफली का तेल

  • पॉलीअनसैचुरेटेड फैट (Polyunsaturated): सूरजमुखी का तेल, मछली का तेल, अलसी के बीज

इन वसाओं से दिल की सेहत बेहतर रहती है, और कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है

बुरी वसा कौन-सी है?

  • सैचुरेटेड फैट (यदि ज़्यादा मात्रा में लिया जाए)

  • ट्रांस फैट (किसी भी मात्रा में नुकसानदायक)

इनसे शरीर में फैट जमा होता है, जो आगे चलकर मोटापा, दिल की बीमारी, और डायबिटीज जैसी समस्याओं का कारण बनता है।

कम फैट वाला खाना क्यों चुनें?

  • यह वजन नियंत्रित करने में मदद करता है

  • दिल की बीमारी और ब्लड प्रेशर का खतरा घटता है

  • शरीर हल्का और ऊर्जावान महसूस करता है

  • लंबे समय तक सेहतमंद जीवन जीने की संभावना बढ़ती है

कैसे पहचानें फैट की मात्रा?

पैकेज्ड फूड पर पोषण लेबल जरूर पढ़ें:

  • Total Fat – कम हो

  • Saturated Fat – 1 ग्राम से कम हो

  • Trans Fat – 0 हो

  • Unsaturated Fat – मौजूद हो तो अच्छा

फैट को समझना सेहतमंद खाने की पहली सीढ़ी है। जरूरी है कि आप हर बार खाने से पहले पोषण लेबल देखें और यह तय करें कि उसमें कैसी वसा है। अच्छी वसा को अपनाएं और बुरी वसा से बचें – यही तरीका है एक स्वस्थ, सक्रिय और लंबा जीवन जीने का।

 

शुगर (चीनी) की मात्रा पर ध्यान दें :-

आजकल हमारे रोजमर्रा के खाने-पीने की चीजों में कहीं न कहीं चीनी (शुगर) छिपी होती है। भले ही वह मीठा स्वाद न दे, फिर भी उसमें शुगर हो सकती है। इसलिए ज़रूरी है कि हम यह समझें कि कितनी चीनी लेनी चाहिए, Added और Natural Sugar में क्या फर्क है, और ज्यादा शुगर खाने से क्या नुकसान हो सकता है।

1. Added Sugar और Natural Sugar में क्या फर्क है?

चीनी दो तरह की होती है:

  • Natural Sugar (प्राकृतिक चीनी):
    यह फलों, दूध और सब्जियों में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है।
    ➤ जैसे – सेब, केला, दूध, दही में जो मिठास होती है।

  • Added Sugar (जोड़ी गई चीनी):
    यह वह चीनी है जो खाने को मीठा बनाने के लिए अलग से डाली जाती है।
    ➤ जैसे – चॉकलेट, बिस्किट, कोल्ड ड्रिंक, मिठाइयाँ, केचप आदि में।

ध्यान दें: Added sugar शरीर को बहुत जल्दी नुकसान पहुँचाती है, जबकि Natural sugar फाइबर, विटामिन और मिनरल्स के साथ आती है।

2. ज्यादा चीनी खाने से क्या हो सकता है?

अगर आप रोज़ाना ज्यादा चीनी खाते हैं, तो इसका असर धीरे-धीरे आपकी सेहत पर पड़ता है। नीचे जानिए इसके नुकसान:

  • वजन तेजी से बढ़ता है

  • टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है

  • दाँत जल्दी खराब होते हैं

  • दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है

  • स्किन और बालों की क्वालिटी घटती है

  • थकावट और चिड़चिड़ापन बना रहता है

इसीलिए, चाहे खाना मीठा हो या न हो, उसकी शुगर मात्रा देखना बेहद जरूरी है।

3. रोजाना कितनी चीनी लेनी चाहिए?

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार:

  • बड़ों के लिए:
    अधिकतम 25 ग्राम (लगभग 6 चम्मच) Added sugar प्रतिदिन।

  • बच्चों के लिए:
    लगभग 15 से 20 ग्राम प्रतिदिन।

ध्यान रखें: एक सॉफ्ट ड्रिंक की कैन में ही करीब 35 ग्राम शुगर होती है, जो पूरे दिन की लिमिट से ज्यादा है।

4. पोषण लेबल में शुगर कैसे पहचानें?

जब भी आप कोई पैकेज्ड आइटम खरीदें, तो पोषण लेबल ज़रूर पढ़ें। वहाँ आपको कुछ शब्द दिख सकते हैं:

  • Sucrose

  • Glucose

  • Fructose

  • Corn syrup

  • Cane sugar

  • Maltose

ये सभी Added sugar के रूप हैं। अगर ये पहले 3 Ingredients में से कोई है, तो उसका शुगर कंटेंट ज्यादा है।

5. कम शुगर वाला खाना क्यों चुनें?

  • शरीर हल्का और एनर्जेटिक महसूस करता है

  • वजन नियंत्रित रहता है

  • दिमाग और दिल स्वस्थ रहते हैं

  • नींद बेहतर होती है

  • लंबे समय तक बीमारियों से बचाव होता है

अब जब आप जानते हैं कि Added और Natural sugar में क्या फर्क है, तो अगली बार कुछ खरीदने से पहले उसका लेबल ज़रूर पढ़ें। शुगर की मात्रा कम रखें और Natural sources से मीठा लें। यही तरीका है स्वस्थ जीवन जीने का, जो आसान भी है और असरदार भी।

 

 

प्रोटीन की जानकारी पढ़ना क्यों जरूरी है :-

जब भी हम कोई पैकेज्ड फूड खरीदते हैं, तो उसके पीछे दिए गए पोषण लेबल (Nutrition Label) में प्रोटीन का ज़िक्र जरूर होता है। मगर अक्सर लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि सच तो यह है कि प्रोटीन शरीर के लिए एक जरूरी पोषक तत्व है, और इसकी जानकारी पढ़ना हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।

शरीर के लिए प्रोटीन क्यों जरूरी है?

प्रोटीन हमारे शरीर के हर हिस्से में काम आता है। चाहे वो मांसपेशियां हों, त्वचा हो या बाल – सब कुछ प्रोटीन से ही बनता है।

प्रोटीन के मुख्य फायदे:

  • मांसपेशियों को मजबूत बनाता है

  • बच्चों की ग्रोथ में मदद करता है

  • हड्डियों को ताकत देता है

  • इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है

  • थकान को दूर करता है और एनर्जी देता है

इसीलिए अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो प्रोटीन की सही मात्रा लेना बेहद जरूरी है।

प्रोटीन की जानकारी क्यों पढ़ें?

जब आप किसी पैकेज्ड फूड का लेबल पढ़ते हैं, तो उसमें लिखा होता है कि उसमें एक सर्विंग में कितनी मात्रा में प्रोटीन है।

यह जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि:

  • इससे आप जान सकते हैं कि आपका खाना शरीर की जरूरत को पूरा कर रहा है या नहीं

  • आप अधिक या कम प्रोटीन लेने से बच सकते हैं

  • यह जानकारी विशेष रूप से बॉडी बिल्डिंग, डाइटिंग या बच्चों की डाइट के लिए बहुत काम आती है।

बच्चों और बड़ों को कितनी प्रोटीन चाहिए?

प्रोटीन की जरूरत उम्र, वजन और शरीर की गतिविधि पर निर्भर करती है। फिर भी सामान्य तौर पर:

बड़ों के लिए (18 वर्ष से ऊपर):

  • पुरुष: लगभग 56 ग्राम प्रति दिन

  • महिला: लगभग 46 ग्राम प्रति दिन

बच्चों के लिए:

  • 1–3 वर्ष: 13 ग्राम प्रतिदिन

  • 4–8 वर्ष: 19 ग्राम प्रतिदिन

  • 9–13 वर्ष: 34 ग्राम प्रतिदिन

ध्यान दें कि ये मात्रा औसत शारीरिक गतिविधि वाले व्यक्ति के लिए है। अगर आप एक्सरसाइज करते हैं, तो जरूरत ज्यादा हो सकती है।

किन चीजों में मिलता है अच्छा प्रोटीन?

आप नीचे दी गई चीज़ों से प्राकृतिक प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं:

  • दूध और दही

  • अंडा

  • दालें और चना

  • सोया और टोफू

  • पनीर

  • मछली और चिकन

  • बादाम, मूंगफली और बीज

कम प्रोटीन लेने से क्या नुकसान हो सकता है?

अगर शरीर को जरूरत के अनुसार प्रोटीन नहीं मिलता, तो:

  • मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है

  • बाल झड़ने लगते हैं

  • इम्यूनिटी घटती है

  • थकावट और कमजोरी बनी रहती है

  • बच्चों की ग्रोथ रुक सकती है

अब जब आप जान गए हैं कि प्रोटीन क्यों जरूरी है और इसे कैसे समझें, तो अगली बार जब आप कुछ खरीदें, तो उसके पोषण लेबल पर प्रोटीन की मात्रा ज़रूर जांचें। अपने खाने में प्राकृतिक प्रोटीन स्रोत जरूर शामिल करें और रोज़ की जरूरत के अनुसार उसका सेवन करें।

कार्बोहाइड्रेट को कैसे समझें :-

जब हम पोषण लेबल पढ़ते हैं, तो उसमें अक्सर कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) की जानकारी दी होती है। लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि टोटल कार्ब्स, फाइबर और शुगर का आपस में क्या संबंध है और कौन-सा खाना फायदेमंद होता है। इस गाइड में हम यह सब आसान और सीधी भाषा में समझेंगे।

कार्बोहाइड्रेट क्या होते हैं?

कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए मुख्य ऊर्जा का स्रोत होते हैं। यह हमारे शरीर को वो ताकत देते हैं जिससे हम चल-फिर सकें, सोच सकें और दिनभर काम कर सकें।

कार्बोहाइड्रेट के मुख्य प्रकार होते हैं:

  • शुगर (चीनी): जल्दी पचती है और तुरंत एनर्जी देती है

  • स्टार्च: धीरे-धीरे पचता है, जैसे चावल, रोटी

  • फाइबर: पाचन में मदद करता है, जैसे फल, सब्ज़ियाँ

टोटल कार्ब्स, फाइबर और शुगर का संबंध

जब आप किसी फूड आइटम का न्यूट्रिशन लेबल पढ़ते हैं, तो उसमें “Total Carbohydrates” लिखा होता है। उसके नीचे दो चीजें होती हैं:

  • डाइटरी फाइबर (Dietary Fiber)

  • शुगर (Sugar)

इन दोनों को मिलाकर ही टोटल कार्ब्स बनते हैं।

उदाहरण के लिए:

अगर किसी चीज में 20 ग्राम टोटल कार्ब्स हैं, जिसमें से
➤ 5 ग्राम फाइबर और
➤ 8 ग्राम शुगर है,
तो बाकी 7 ग्राम स्टार्च होता है।

इसका मतलब यह है कि आपको यह देखना चाहिए कि इन 20 ग्राम में से कितना फाइबर और कितना शुगर है, ताकि सही फैसला लिया जा सके।

फाइबर वाला खाना क्यों अच्छा होता है?

फाइबर वह हिस्सा है जो शरीर में नहीं पचता, लेकिन यह पाचन क्रिया को मजबूत करता है।

फाइबर खाने के फायदे:

  • पेट साफ रहता है

  • कब्ज की समस्या नहीं होती

  • वजन कंट्रोल में मदद मिलती है

  • शुगर का स्तर संतुलित रहता है

  • कोलेस्ट्रॉल कम होता है

इसलिए जब आप कोई फूड आइटम चुनें, तो देखें कि उसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा हो और शुगर कम हो।

कार्बोहाइड्रेट का सही स्रोत कौन-से हैं?

अच्छे कार्बोहाइड्रेट यानी Complex Carbs हमें लंबे समय तक ऊर्जा देते हैं। नीचे दिए गए फूड्स को अपने आहार में शामिल करें:

  • ओट्स

  • ब्राउन राइस

  • साबुत अनाज (Whole Grains)

  • फल और सब्ज़ियाँ

  • बीन्स और दालें

दूसरी ओर, खराब कार्बोहाइड्रेट जैसे सफेद ब्रेड, मिठाइयाँ, कोल्ड ड्रिंक, पास्ता आदि को कम से कम खाएं क्योंकि इनमें फाइबर कम और शुगर ज्यादा होती है।

कैसे चुनें सही खाना? – आसान टिप्स

  • हमेशा Nutrition Label पर “Total Carbohydrate” देखें

  • फाइबर 3 ग्राम या उससे ज्यादा हो – यह अच्छा संकेत है

  • शुगर 5 ग्राम से कम हो – इससे वजन और ब्लड शुगर कंट्रोल रहेगा

  • साबुत अनाज वाले फूड को प्राथमिकता दें

  • पैक्ड स्नैक्स, मीठा और कोल्ड ड्रिंक से बचें

अब जब आपने जान लिया कि टोटल कार्ब्स, फाइबर और शुगर का क्या संबंध है, तो अगली बार जब आप कोई फूड पैक खरीदें, तो उसका लेबल जरूर पढ़ें। कोशिश करें कि आपके खाने में ज्यादा फाइबर और कम शुगर हो, ताकि आपकी सेहत बनी रहे और आप एक्टिव महसूस करें।

 

विटामिन और मिनरल्स पर नज़र रखें :-

हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सिर्फ प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट की जरूरत नहीं होती, बल्कि विटामिन और मिनरल्स का भी बहुत महत्व है। यह शरीर के सही तरीके से काम करने के लिए आवश्यक होते हैं। जब आप किसी पैकेज्ड फूड का लेबल पढ़ते हैं, तो उसमें अक्सर विटामिन A, C, D, कैल्शियम और आयरन का उल्लेख होता है। इन सभी का स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है, इसलिए इनके स्तर को समझना बहुत जरूरी है।

विटामिन और मिनरल्स का महत्व

विटामिन और मिनरल्स शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। ये तत्व शरीर की सही कार्यप्रणाली को बनाए रखते हैं और हमें फिट और स्वस्थ रखते हैं।

विटामिन A:

  • यह हमारी दृष्टि के लिए महत्वपूर्ण है।

  • त्वचा और इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

विटामिन C:

  • यह शरीर में कोलेजन उत्पादन में मदद करता है, जिससे हमारी त्वचा, हड्डियाँ और रक्त वाहिकाएँ मजबूत रहती हैं।

  • इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और संक्रमण से बचाता है।

विटामिन D:

  • यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।

  • हड्डियों की सेहत और मांसपेशियों की ताकत बनाए रखता है।

कैल्शियम:

  • हड्डियों और दांतों के लिए जरूरी है।

  • यह हृदय की धड़कन को नियमित करता है और मांसपेशियों को काम करने में मदद करता है।

आयरन:

  • यह ब्लड में ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है।

  • एनीमिया (खून की कमी) को रोकता है और ऊर्जा स्तर को बनाए रखता है।

इन विटामिन और मिनरल्स के लेवल को कैसे पढ़ें और समझें?

जब आप पोषण लेबल पढ़ते हैं, तो आपको वहां इन सभी तत्वों के स्तर का विवरण मिलेगा। आमतौर पर, यह जानकारी इस प्रकार दी जाती है:

  • % Daily Value (DV): यह बताता है कि एक सर्विंग में कितना प्रतिशत उस विटामिन या मिनरल की आवश्यकता पूरी करता है।
    उदाहरण के लिए, अगर किसी पैकेज में विटामिन C 60% लिखा है, तो इसका मतलब है कि उस सर्विंग से आपकी आवश्यकता का 60% पूरा हो रहा है

  • किसे ज्यादा, किसे कम चुनें:

    • अगर किसी आइटम में विटामिन A या D का स्तर कम है, तो इस पर ध्यान दें और उन खाद्य पदार्थों का चुनाव करें जिनमें ये विटामिन अधिक हों।

    • आयरन और कैल्शियम की मात्रा को भी देखें क्योंकि इनकी कमी से शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है और हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं।

  • साथ में इनका संतुलन बनाए रखें:
    विटामिन्स और मिनरल्स का सही संतुलन बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप किसी एक तत्व की अधिकता करते हैं, तो यह दूसरे तत्वों के अवशोषण को प्रभावित कर सकता है। जैसे विटामिन D अधिक होने से शरीर में कैल्शियम की अधिकता हो सकती है, जिससे हड्डियों में कैल्शियम की समस्या हो सकती है।

विटामिन और मिनरल्स को कैसे सही रूप में लें?

  • विटामिन और मिनरल्स का सही स्रोत:
    सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप प्राकृतिक स्रोतों से विटामिन्स और मिनरल्स लें

    • विटामिन A: गाजर, पालक, शिमला मिर्च

    • विटामिन C: संतरा, नींबू, आंवला

    • विटामिन D: धूप, मछली, अंडे

    • कैल्शियम: दूध, दही, पनीर

    • आयरन: दालें, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, गुड़

  • पैकेज्ड फूड का चुनाव:
    यदि आप पैकेज्ड फूड ले रहे हैं, तो लेबल पर % Daily Value जरूर देखें। यह आपको यह जानकारी देगा कि उस पैक में आपके शरीर की कितनी जरूरत पूरी हो रही है।

    • विटामिन्स और मिनरल्स के लिए संतुलित आहार का चुनाव करें, ताकि आपको जरूरत के सभी पोषक तत्व मिल सकें।

अब जब आप जानते हैं कि विटामिन और मिनरल्स हमारे शरीर के लिए कितने जरूरी हैं, तो अगली बार जब आप किसी पैकेज्ड फूड का चुनाव करें, तो उसके पोषण लेबल को अच्छे से पढ़ें। इस जानकारी से आप अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं और सही पोषक तत्वों का सेवन कर सकते हैं। हमेशा संतुलित आहार का पालन करें और शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन करें।

 

% Daily Value (%DV) क्या है? यह नंबर क्या दर्शाता है :-

जब आप किसी पैक्ड फूड का न्यूट्रिशन लेबल पढ़ते हैं, तो वहां आपको % Daily Value (%DV) के बारे में जानकारी मिलती है। यह %DV असल में यह दर्शाता है कि एक सर्विंग में उस विशेष पोषक तत्व की कितनी मात्रा आपके दैनिक आहार की जरूरत को पूरा करती है। इसे समझना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे आप जान सकते हैं कि एक खाद्य पदार्थ आपके शरीर के लिए कितना पौष्टिक है और यह आपकी दैनिक जरूरतों को किस हद तक पूरा करता है।

% Daily Value (%DV) का महत्व

%DV यह दिखाता है कि किसी विशेष पोषक तत्व (जैसे वसा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स) की एक सर्विंग आपके दैनिक आहार के कितने प्रतिशत को पूरा करती है। यह संख्या आपको यह समझने में मदद करती है कि आपको कितना पोषक तत्व चाहिए, और उस खाद्य पदार्थ में कितना उपलब्ध है

% Daily Value को कैसे पढ़ें और समझें?

जब आप किसी पैकेज्ड फूड का लेबल पढ़ते हैं, तो उसमें % Daily Value दिया होता है, जो पोषक तत्वों के लिए एक सापेक्ष प्रतिशत होता है। इस प्रतिशत का क्या मतलब है?

  • 5% से कम = यह कम मात्रा है। इसका मतलब है कि वह पोषक तत्व आपके दैनिक आहार की कम जरूरत को पूरा कर रहा है।
    उदाहरण के लिए, अगर किसी फूड में 5% Daily Value है, तो इसका मतलब है कि वह पोषक तत्व आपके शरीर की दैनिक आवश्यकता का केवल 5% ही पूरा कर रहा है। यह विशेष रूप से उन खाद्य पदार्थों के लिए महत्वपूर्ण होता है जिनमें शुगर, सोडियम, और वसा की अधिक मात्रा हो सकती है।

  • 20% से ज़्यादा = यह ज़्यादा मात्रा है। इसका मतलब है कि वह पोषक तत्व आपके दैनिक आहार की उच्च आवश्यकता को पूरा कर रहा है।
    उदाहरण के लिए, यदि किसी फूड आइटम में 20% Daily Value है, तो वह पोषक तत्व आपके शरीर की दैनिक आवश्यकता का 20% पूरा कर रहा है। यह दर्शाता है कि उस खाद्य पदार्थ में वह पोषक तत्व आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।

%DV के जरिए हम क्या जान सकते हैं?

  • शरीर की जरूरत का अनुमान:
    %DV हमें यह बताता है कि हमें किसी खाद्य पदार्थ के माध्यम से कितनी मात्रा का सेवन करना चाहिए ताकि हम सभी पोषक तत्वों का सही संतुलन बनाए रखें।

  • किसे ज्यादा और किसे कम चुनें:

    • यदि किसी फूड आइटम में वसा, शुगर या सोडियम की %DV बहुत अधिक है, तो यह संकेत हो सकता है कि उस खाद्य पदार्थ में ये तत्व ज़्यादा हैं। इस प्रकार की जानकारी से आप कम कैलोरी और कम वसा वाले विकल्प चुन सकते हैं।

    • वहीं, अगर किसी फूड आइटम में विटामिन A, C, कैल्शियम या आयरन का %DV अधिक है, तो यह दिखाता है कि उस खाद्य पदार्थ में ये पोषक तत्व ज़्यादा उपलब्ध हैं, जो आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।

  • कितना खाना अच्छा है:
    %DV से यह जानना भी आसान हो जाता है कि आपको कितना खाना खाना चाहिए। यदि आप कोई फूड आइटम खरीद रहे हैं जिसमें 20% या उससे अधिक विटामिन C है, तो वह आपके शरीर के लिए फायदेमंद हो सकता है। वहीं, यदि %DV में 5% से कम है, तो वह खाद्य पदार्थ आपको अधिक लाभ नहीं दे सकता।

%DV को समझने में कुछ उदाहरण

  • सोडियम:
    अगर किसी फूड में %DV 5% से कम है, तो वह कम सोडियम होता है। यदि यह 20% से ज्यादा है, तो आपको सोडियम का सेवन कम करना चाहिए क्योंकि ज्यादा सोडियम से उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

  • विटामिन C:
    अगर किसी फूड में %DV 20% से ज्यादा है, तो वह पोषक तत्व आपके शरीर के लिए अच्छा हो सकता है क्योंकि विटामिन C आपकी इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।

  • फैट:
    यदि किसी फूड में %DV 5% से कम है, तो वह कम फैट वाला होता है। यदि %DV 20% या उससे ज्यादा है, तो वह अधिक फैट वाला होता है और ऐसे फूड्स का सेवन कम करना बेहतर होता है।

क्यों %DV पढ़ना ज़रूरी है?

  • संतुलित आहार के लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण है, ताकि आप जान सकें कि आपकी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए किस पोषक तत्व की मात्रा अधिक या कम होनी चाहिए।

  • यह आपको फैट, शुगर, सोडियम जैसी चीजों से बचने में मदद करता है, ताकि आप स्वस्थ और फिट रहें।

% Daily Value (%DV) को पढ़ने से आप यह समझ सकते हैं कि किसी खाद्य पदार्थ में पोषक तत्वों की कितनी मात्रा आपके दैनिक आहार की जरूरत को पूरा करती है। यह आपको स्वस्थ और संतुलित आहार बनाने में मदद करता है। अगली बार जब आप कोई पैकेज्ड फूड खरीदें, तो उसका पोषण लेबल जरूर पढ़ें और %DV के आधार पर सही विकल्प चुनें।

 

लाल झंडी वाले संकेत (Warning Signs) :-

आप जब भी कोई पैकेज्ड फूड खरीदते हैं, तो उसमें अक्सर कुछ चेतावनी संकेत (warning signs) होते हैं। ये संकेत आपको बताते हैं कि उस खाने में कुछ ऐसे तत्व हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हो सकते। इनमें हाई फैट, हाई शुगर, और हाई सोडियम जैसे तत्व शामिल हैं, जिनका ज्यादा सेवन आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

इस गाइड में, हम आपको बताएंगे कि ये संकेत क्यों महत्वपूर्ण हैं और कैसे आप "Low Fat" या "Sugar Free" जैसे दावों के पीछे की सच्चाई को समझ सकते हैं।

1. हाई फैट (High Fat) का संकेत

हाई फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कैलोरी की अधिक मात्रा को शरीर में जोड़ सकता है, जिससे वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। इनमें से कुछ फैट्स, जैसे सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट, आपके दिल की सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं।

  • हाई फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन हृदय रोग, मोटापा, और ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित कर सकता है।

  • सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट को अत्यधिक मात्रा में खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है, जो दिल के रोगों का कारण बन सकता है।

इसलिए, अगर किसी खाद्य उत्पाद में हाई फैट का लेबल है, तो इसका सेवन संयमित तरीके से करें।

2. हाई शुगर (High Sugar) का संकेत

शुगर को अधिक मात्रा में खाना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। ज्यादा चीनी के सेवन से मधुमेह, हृदय रोग, और वजन बढ़ने की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

  • पैकेज्ड फूड्स में जो चीनी डाली जाती है, वह एडेड शुगर होती है, जो नेचुरल शुगर से अलग होती है।

  • ज्यादा शुगर खाने से ब्लड शुगर के स्तर में अचानक बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे थकान, सिरदर्द, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

High Sugar के संकेत

  • रिफाइंड शुगर का सेवन आपके शरीर में इंफ्लेमेशन (सूजन) बढ़ा सकता है, जिससे दिल की बीमारियां और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

3. हाई सोडियम (High Sodium) का संकेत

सोडियम का अत्यधिक सेवन ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है, जिससे हाइपरटेंशन (high blood pressure) की समस्या हो सकती है। ज्यादा सोडियम से आपके शरीर में पानी की अधिक मात्रा जमा हो जाती है, जिससे दिल की बीमारी, स्ट्रोक, और गंभीर किडनी रोग हो सकते हैं।

  • अगर किसी खाद्य पदार्थ में सोडियम की मात्रा ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि वह भोजन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, खासकर यदि आप पहले से ही हाइपरटेंशन या दिल की बीमारी से पीड़ित हैं।

4. "Low Fat" या "Sugar Free" में धोखा हो सकता है

अक्सर हम जब Low Fat या Sugar Free वाले उत्पादों को देखते हैं, तो समझते हैं कि ये सेहत के लिए अच्छे हैं। लेकिन इन शब्दों का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि वह उत्पाद वास्तव में स्वास्थ्यवर्धक है।

  • Low Fat का मतलब यह नहीं है कि उत्पाद पूरी तरह से स्वस्थ है। कभी-कभी इसमें शुगर या सोडियम की मात्रा अधिक हो सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

  • Sugar Free का मतलब यह नहीं है कि वह उत्पाद बिल्कुल स्वस्थ है। इसके बजाय, उत्पाद में आर्टिफिशियल स्वीटनर्स हो सकते हैं, जो किडनी और पाचन के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

कैसे करें इन संकेतों को समझना?

न्यूट्रिशन लेबल पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। यह आपको किसी उत्पाद के पोषक तत्वों की सही जानकारी देता है और आपके खाने के विकल्प को समझने में मदद करता है।

  • फैट की मात्रा: अगर फैट ज्यादा है, तो इसके सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट को देखकर इसे सीमित करें।

  • शुगर: हमेशा यह देखें कि क्या उत्पाद में एडेड शुगर है या नहीं। अगर है, तो कम मात्रा में इसे चुनें।

  • सोडियम: सोडियम की मात्रा अधिक होने पर ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें और स्वस्थ विकल्प चुनें।

कुल मिलाकर, इन चेतावनी संकेतों को कैसे पहचानें?

  • हाई फैट: यह संकेत दिखाता है कि उत्पाद में ज्यादा फैट हो सकता है, जिससे दिल की बीमारी और मोटापे जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

  • हाई शुगर: अधिक शुगर का सेवन आपके ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है और स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।

  • हाई सोडियम: ज्यादा सोडियम हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है।

  • "Low Fat" या "Sugar Free": इन शब्दों के पीछे कुछ हानिकारक तत्व हो सकते हैं, इसलिए इन्हें सही से समझना जरूरी है।

फूड लेबल्स को ध्यान से पढ़ना और लाल झंडी वाले संकेतों पर ध्यान देना आपकी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। हाई फैट, हाई शुगर, और हाई सोडियम वाले खाद्य पदार्थों से बचें और "Low Fat" या "Sugar Free" उत्पादों के बारे में भ्रमित होने से बचें। इसके बजाय, स्वस्थ और पौष्टिक विकल्पों को चुनें, जो आपके शरीर की जरूरतों को सही तरीके से पूरा करें।

 

लेबल पढ़ने की आसान ट्रिक :-

जब आप कोई पैकेज्ड फूड खरीदते हैं, तो उस पर दिया गया लेबल आपको सही जानकारी प्रदान करता है। सही तरीके से लेबल पढ़ने से आप यह जान सकते हैं कि उसमें कौन-कौन से पोषक तत्व हैं और क्या वह आपके स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है या नहीं। इस गाइड में हम आपको एक आसान तरीका बताएंगे, जिससे आप लेबल पढ़ने की प्रक्रिया को समझ सकते हैं और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प चुन सकते हैं।

सबसे पहले किन चीजों पर ध्यान दें?

लेबल पढ़ने का सबसे आसान तरीका यह है कि आप सबसे पहले उन मुख्य तत्वों पर ध्यान दें, जो आपके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये तत्व आपको यह समझने में मदद करेंगे कि उत्पाद किस तरह से आपके शरीर पर असर डाल सकता है।

1. सर्विंग साइज (Serving Size)

  • लेबल पर सबसे पहले सर्विंग साइज देखें। यह दर्शाता है कि एक पैकेट में कितनी मात्रा को एक सर्विंग माना गया है।

  • ध्यान रखें कि कभी-कभी एक पैकेट में एक से ज्यादा सर्विंग हो सकती है। इसलिए, पूरे पैकेट की कैलोरी और पोषण का सही हिसाब लगाने के लिए सर्विंग साइज को समझना जरूरी है।

2. कुल कैलोरी (Total Calories)

  • कैलोरी की मात्रा को देखें क्योंकि यह सीधे आपके शरीर के वजन पर प्रभाव डालती है।

  • यदि आप वजन कम करने का प्रयास कर रहे हैं, तो कैलोरी की मात्रा को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।

3. फैट (Fat)

  • फैट का ध्यान रखें, खासकर सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट पर, क्योंकि ये दोनों प्रकार की वसा दिल और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

  • उत्पाद में हाई फैट का संकेत हो तो इसे सीमित मात्रा में खाएं।

4. शुगर (Sugar)

  • शुगर की मात्रा जानना जरूरी है। एडेड शुगर की अधिकता आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।

  • अगर शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा है, तो उस उत्पाद से बचें, खासकर अगर आप मधुमेह (diabetes) के शिकार हैं।

5. सोडियम (Sodium)

  • सोडियम (नमक) की अधिकता हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure) और दिल की बीमारियों का कारण बन सकती है।

  • ध्यान रखें कि आपके द्वारा चुने गए उत्पाद में सोडियम की मात्रा बहुत अधिक न हो।

लेबल पढ़ने का 1 मिनट का तरीका

अब आपको यह समझ में आ गया कि लेबल पर सबसे पहले किन चीजों पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन, यदि आप यह सब जल्दी में करना चाहते हैं और 1 मिनट के अंदर सही निर्णय लेना चाहते हैं, तो यहां एक आसान तरीका है:

1. सर्विंग साइज और कैलोरी

  • सबसे पहले, सर्विंग साइज देखें और यह जानें कि एक पैकेट में कितने हिस्से हैं।

  • उसके बाद, कुल कैलोरी को देखें, क्योंकि इससे पता चलता है कि यह उत्पाद आपके दिनभर की कैलोरी जरूरतों को कितना पूरा करेगा।

2. फैट और शुगर की मात्रा

  • फैट (खासतौर पर सैचुरेटेड और ट्रांस फैट) और शुगर की मात्रा पर ध्यान दें। यदि फैट या शुगर अधिक है, तो यह संकेत देता है कि उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।

  • अगर शुगर बहुत ज्यादा है, तो यह आपके लिए स्वास्थ्यवर्धक नहीं हो सकता है।

3. सोडियम की मात्रा

  • सोडियम की मात्रा को देखें। सामान्यतः, एक उत्पाद में 100 ग्राम में 5% से कम सोडियम अच्छा माना जाता है। अगर यह 20% से अधिक है, तो इसे कम मात्रा में खाएं।

4. पोषक तत्वों के प्रतिशत (Daily Value)

  • % DV (डेली वैल्यू) को देखें। यह बताता है कि उस उत्पाद में आपके दैनिक पोषक तत्वों की कितनी आवश्यकता पूरी हो रही है।

    • 5% से कम = कम मात्रा

    • 20% से अधिक = ज्यादा मात्रा

  • यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि उस उत्पाद से आपको पोषक तत्व मिलेंगे या नहीं, और कितना मिलेगा।

लेबल पढ़ने के फायदे:

लेबल पढ़ने के कई फायदे हैं, जो आपको स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद कर सकते हैं:

  • स्वास्थ्य के लिए बेहतर निर्णय: आप यह तय कर सकते हैं कि कौन सा खाद्य पदार्थ आपके लिए अच्छा है और कौन सा नहीं।

  • वजन नियंत्रित करना: कैलोरी, फैट, और शुगर के लेवल को ध्यान में रखते हुए, आप अपना वजन आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं।

  • बीमारियों से बचाव: शुगर और सोडियम की अधिकता से बचकर आप मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, और दिल की बीमारियों से बच सकते हैं।

लेबल पढ़ना एक आसान प्रक्रिया है जो आपको स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ चुनने में मदद कर सकती है। यदि आप कुछ आसान ट्रिक्स और टिप्स को याद रखें, तो आप हर बार सही निर्णय ले सकते हैं। बस, सर्विंग साइज, कैलोरी, फैट, शुगर, और सोडियम की मात्रा पर ध्यान दें। इसके अलावा, % DV को भी समझें, ताकि आप हर बार स्वस्थ विकल्प चुन सकें।

इस आसान ट्रिक के साथ, आप 1 मिनट में यह समझ सकते हैं कि कोई उत्पाद आपके लिए सही है या नहीं। अपने खाने के लेबल को समझना और सही आहार चुनना स्वस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी है।

 

बच्चों को लेबल पढ़ना कैसे सिखाएं :-

आजकल बच्चों को सही और स्वस्थ भोजन की पहचान कराना बहुत ज़रूरी हो गया है। बाजार में उपलब्ध पैकेज्ड फूड्स में पोषण से जुड़ी जानकारी देने वाले लेबल होते हैं, जो हमें यह बताते हैं कि किसी खाद्य पदार्थ में कौन से पोषक तत्व हैं। इसलिए बच्चों को लेबल पढ़ने की कला सिखाना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपने खाने के चयन में सतर्क रहें और बेहतर स्वास्थ्य का आनंद उठा सकें। इस गाइड में हम आपको आसान और मजेदार तरीकों से बच्चों को लेबल पढ़ना सिखाने के बारे में बताएंगे।

आसान भाषा में समझाएं

बच्चों को लेबल पढ़ने के लिए सबसे पहले उन्हें सरल भाषा में यह समझाना जरूरी है कि लेबल पर क्या लिखा होता है और इसका क्या मतलब होता है। आप उन्हें बता सकते हैं कि जैसे किताबों में सिरप, पन्ने और कहानी होती है, वैसे ही खाने के पैकेट पर भी कुछ खास जानकारी होती है। इस जानकारी से हम जान सकते हैं कि खाने में कितनी कैलोरी, फैट, शुगर और अन्य तत्व हैं।

1. सर्विंग साइज पर ध्यान दें:

  • बच्चों को यह समझाएं कि सर्विंग साइज वह मात्रा है, जो एक बार खाने के लिए होती है। इसे एक छोटे उदाहरण से समझाएं, जैसे, “अगर तुम एक चॉकलेट खाते हो, तो उस चॉकलेट का सर्विंग साइज क्या है?”

2. फैट, शुगर और कैलोरी:

  • उन्हें यह भी समझाएं कि फैट, शुगर, और कैलोरी की अधिकता स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। छोटे उदाहरणों से समझाएं जैसे, "अगर हम बहुत ज्यादा शुगर खाते हैं, तो हमारा शरीर आलसी हो सकता है।"

3. पोषक तत्वों का महत्व:

  • बच्चों को यह भी बताएं कि जैसे शरीर को प्रोटीन, विटामिन और फाइबर की जरूरत होती है, वैसे ही हमें खाना खाते समय यह देखना चाहिए कि उसमें ये तत्व कितने हैं। इससे उनका शरीर मजबूत रहेगा और वे अच्छे से खेल कूद सकेंगे।

खेल और कहानियों के ज़रिए सीख

बच्चों को सिर्फ शब्दों में समझाना नहीं, बल्कि खेल और कहानियों के माध्यम से सिखाना एक शानदार तरीका है। इसे वे आसानी से समझ सकते हैं और मज़े-मज़े में सीख सकते हैं।

1. लेबल पढ़ने का खेल:

  • बच्चों को एक खेल के रूप में लेबल पढ़ने के लिए प्रेरित करें। उदाहरण के लिए, आप बच्चों को कुकिंग गेम जैसा कुछ बना सकते हैं, जिसमें वे पैकेज्ड फूड का लेबल देखकर यह तय करें कि कौन सा खाना स्वास्थ्य के लिए सही है।

  • कृष्णा का बैलेंस चैलेंज: बच्चों से कहें कि वे हर लेबल को पढ़े और उसके बाद यह बताए कि उस खाने में क्या पोषक तत्व हैं और क्या वो उन्हें स्वस्थ रख सकते हैं या नहीं।

2. कहानी के माध्यम से सिखाना:

  • एक कहानी बना सकते हैं जैसे, "राधा और सीनू को जंगल में एक जादुई दुकान मिली, जहाँ से उन्हें अपनी पसंदीदा मिठाइयां मिलती थीं। लेकिन जादूगर ने उन्हें यह बताया कि अगर वे सही पोषक तत्व नहीं लेंगे, तो वे हमेशा थके हुए महसूस करेंगे।" इस कहानी के जरिए बच्चों को यह सिखाया जा सकता है कि सही पोषक तत्व लेने से शरीर ऊर्जा से भरपूर रहता है।

  • आप हेल्दी खाना और जंक फूड के बीच अंतर बताने के लिए भी एक कहानी बना सकते हैं।

3. विज़ुअलाइजेशन (Visualization):

  • बच्चों को एक पेपर या चार्ट पर विभिन्न खाद्य पदार्थों के चित्र दिखाकर यह समझाएं कि किसमें ज्यादा विटामिन C, कैल्शियम, प्रोटीन, और फाइबर है।

  • बच्चों से कहें कि वह खुद भी भोजन के पैकेट पर दिए गए पोषक तत्वों की जानकारी देखकर समझें कि उन्हें कौन सा खाना ज्यादा खाना चाहिए और क्यों।

बच्चों के लिए एक सरल तरीका:

बच्चों को लेबल पढ़ने का एक और आसान तरीका यह हो सकता है कि जब भी वे कुछ नया खाएं, तो आप उन्हें यह कहें कि वे उस खाने के बारे में थोड़ा सा सवाल पूछें:

  • "क्या इस खाने में बहुत ज्यादा शुगर है?"

  • "क्या यह खाने वाला पदार्थ तुम्हारे शरीर को मजबूत बनाएगा?"

  • "क्या इसमें किसी खास पोषक तत्व की कमी तो नहीं है?"

इससे बच्चों को न केवल लेबल पढ़ने का अभ्यास होगा, बल्कि वे खाने के सही चुनाव में भी मदद पा सकेंगे।

बच्चों को लेबल पढ़ना सिखाना कोई मुश्किल काम नहीं है। साधारण भाषा, खेल और कहानियों के माध्यम से यह काम बहुत ही आसान हो सकता है। बच्चों को यह समझाने के लिए आप दृष्टांत, खेल, और कहानियों का उपयोग कर सकते हैं, ताकि वे अच्छे और स्वस्थ भोजन का चयन कर सकें। यह ना केवल उन्हें बेहतर स्वास्थ्य की ओर प्रेरित करेगा, बल्कि उनका आहार संबंधी ज्ञान भी बढ़ाएगा।

 

निष्कर्ष :-

पोषण लेबल पढ़ना सेहतमंद जीवन की शुरुआत है। आजकल बाज़ार में मिलने वाले पैकेज्ड फूड्स में बहुत सारे ऐसे तत्व हो सकते हैं जो हमारे शरीर के लिए अच्छे नहीं होते, जैसे कि ज़्यादा फैट, शुगर, और सोडियम। इसलिए, इन लेबल्स को ध्यान से पढ़ना बेहद ज़रूरी है।

थोड़ा ध्यान दें, बड़ी बीमारी से बचें

पोषण लेबल पढ़ने से आप जान सकते हैं कि किसी खाद्य पदार्थ में कौन-कौन से पोषक तत्व हैं और क्या वे आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं। सही जानकारी मिलने से आप किसी भी हानिकारक तत्व से बच सकते हैं, जिससे आप हृदय रोग, मधुमेह, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं।

अगली बार बाज़ार जाएं, तो पैकेट ज़रूर पलटें

अगली बार जब आप बाज़ार जाएं, तो किसी भी पैकेट को खरीदने से पहले उसकी पोषण जानकारी ज़रूर पढ़ें। यह आदत आपको अपने भोजन के चयन में ज्यादा सतर्क और समझदार बनाएगी। सिर्फ पैकेट का रंग या ब्रांड देखकर सामान न खरीदें। इससे आपका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा और आप लंबे समय तक स्वस्थ रहेंगे।

 

Nutrition Labels (पोषण लेबल) पढ़ने से सम्बंधित कुछ सवाल-जवाब यानि FAQs :--

 

1. पोषण लेबल क्या है?

पोषण लेबल पैकेज्ड फूड्स पर दिया जाता है, जो बताता है कि उस खाने में कौन से पोषक तत्व हैं जैसे कैलोरी, फैट, शुगर आदि।

2. पोषण लेबल क्यों पढ़ना चाहिए?

पोषण लेबल पढ़ने से आप जान सकते हैं कि जो आप खा रहे हैं, वह आपके लिए स्वास्थ्यवर्धक है या नहीं।

3. क्या सभी पैकेज्ड फूड्स में पोषण लेबल होता है?

जी हां, सभी पैकेज्ड फूड्स में पोषण लेबल होता है। यह कानूनन अनिवार्य है।

4. क्या पोषण लेबल पढ़ने से वजन कम करने में मदद मिलती है?

हां, पोषण लेबल से आप अपने खाने में कैलोरी और फैट की मात्रा पर नियंत्रण रख सकते हैं, जो वजन कम करने में मदद करता है।

5. क्या बच्चों को पोषण लेबल पढ़ना सिखाना जरूरी है?

जी हां, बच्चों को पोषण लेबल पढ़ना सिखाना जरूरी है, ताकि वे स्वस्थ आहार के चयन में सही निर्णय ले सकें।

6. क्या पोषण लेबल में कैलोरी हमेशा महत्वपूर्ण होती है?

कैलोरी महत्वपूर्ण होती है, लेकिन आपको अन्य तत्व जैसे फैट, शुगर और प्रोटीन भी देखना चाहिए।

7. सर्विंग साइज क्या होता है?

सर्विंग साइज वह मात्रा होती है जो एक बार में खाई जाती है। यह लेबल पर दी जाती है, ताकि आप सही मात्रा में भोजन लें।

8. क्या "लो फैट" का मतलब यह है कि वह खाना स्वस्थ है?

"लो फैट" का मतलब यह नहीं कि वह खाना हमेशा स्वस्थ होगा, क्योंकि उसमें शुगर या सोडियम हो सकता है।

9. क्या ट्रांस फैट से बचना चाहिए?

हां, ट्रांस फैट से बचना चाहिए, क्योंकि यह आपके दिल और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

10. क्या पोषण लेबल में शुगर की जानकारी जरूरी है?

हां, शुगर की जानकारी से आप यह जान सकते हैं कि उस खाने में कितनी मिठास और कैलोरी है।

11. कैलोरी को कैसे सही तरीके से समझें?

कैलोरी से यह पता चलता है कि उस खाने से आपके शरीर को कितनी ऊर्जा मिलेगी। ज्यादा कैलोरी से वजन बढ़ सकता है।

12. सोडियम को क्यों देखना चाहिए?

सोडियम की अधिकता से रक्तचाप बढ़ सकता है। इसलिए, सोडियम की मात्रा की जानकारी जरूरी है।

13. क्या अधिक शुगर खाना हानिकारक होता है?

जी हां, ज्यादा शुगर से वजन बढ़ सकता है और डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

14. पोषण लेबल पर वसा का क्या मतलब होता है?

वसा (फैट) वह तत्व है जो ऊर्जा का स्रोत है, लेकिन अधिक वसा से दिल की बीमारियां हो सकती हैं।

15. क्या प्रोटीन जरूरी है?

प्रोटीन शरीर के विकास और मरम्मत के लिए आवश्यक है। यह मांसपेशियों और हड्डियों के लिए भी जरूरी है।

16. पोषण लेबल पर "फाइबर" क्या है?

फाइबर वह तत्व है जो पाचन में मदद करता है और पेट को साफ रखता है।

17. क्या पौष्टिक खाद्य पदार्थों में अधिक वसा नहीं होनी चाहिए?

पौष्टिक खाद्य पदार्थों में वसा हो सकती है, लेकिन यह स्वस्थ वसा (जैसे ओमेगा-3) होनी चाहिए, जो शरीर के लिए फायदेमंद है।

18. क्या पोषण लेबल पर "शुगर फ्री" या "लो शुगर" पर विश्वास किया जा सकता है?

नहीं, इन लेबल्स पर कभी-कभी धोखा हो सकता है, क्योंकि "लो शुगर" का मतलब यह नहीं है कि वह खाना पूरी तरह से स्वास्थ्यवर्धक होगा।

19. क्यों "लो फैट" और "शुगर फ्री" खाद्य पदार्थों में धोखा हो सकता है?

"लो फैट" और "शुगर फ्री" खाद्य पदार्थों में अन्य हानिकारक तत्व जैसे सोडियम या आर्टिफिशियल स्वीटनर हो सकते हैं।

20. क्या "विटामिन्स और मिनरल्स" की जानकारी लेबल पर जरूरी होती है?

जी हां, विटामिन्स और मिनरल्स की जानकारी लेबल पर जरूरी है, क्योंकि यह बताता है कि उस खाद्य पदार्थ में शरीर को आवश्यक पोषक तत्व हैं या नहीं।

21. क्या हम केवल कैलोरी पर ध्यान दें?

नहीं, आपको फैट, शुगर, प्रोटीन और फाइबर की जानकारी भी देखनी चाहिए, ताकि सही निर्णय ले सकें।

22. क्या लेबल पढ़ने से बच्चों की सेहत बेहतर हो सकती है?

जी हां, बच्चों को पोषण लेबल पढ़ने की आदत डालने से उन्हें स्वस्थ खाने के निर्णय लेने में मदद मिलती है।

23. सर्विंग साइज से अधिक खाना हानिकारक हो सकता है क्या?

जी हां, सर्विंग साइज से अधिक खाने से अधिक कैलोरी और फैट शरीर में जमा हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

24. क्या लेबल पर दी गई % Daily Value का मतलब क्या होता है?

% Daily Value से पता चलता है कि उस खाने में एक दिन के पोषक तत्वों का कितना प्रतिशत है। 5% से कम का मतलब कम और 20% से ज्यादा का मतलब ज्यादा होता है।

25. क्या वसा वाले खाद्य पदार्थ शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं?

कुछ वसा जैसे ट्रांस फैट और संतृप्त वसा से बचना चाहिए, क्योंकि ये दिल की बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

26. पोषण लेबल पर क्या लिखा होता है?

पोषण लेबल में कैलोरी, फैट, शुगर, सोडियम, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स की जानकारी होती है।

27. क्या प्रोटीन का सेवन बढ़ाना चाहिए?

जी हां, प्रोटीन शरीर के विकास के लिए आवश्यक है, लेकिन सही मात्रा में प्रोटीन लेना जरूरी है।

28. कैलोरी की अधिकता से क्या हो सकता है?

कैलोरी की अधिकता से वजन बढ़ सकता है, जिससे दिल की बीमारियां और डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

29. क्या बच्चों को ज्यादा शुगर देना चाहिए?

नहीं, ज्यादा शुगर से बच्चों का वजन बढ़ सकता है और इससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

30. क्या जंक फूड्स में पोषण लेबल होता है?

जी हां, सभी पैकेज्ड फूड्स, चाहे वे जंक फूड हों या हेल्दी, में पोषण लेबल होता है।

31. क्या ओमेगा-3 फैटी एसिड सेहत के लिए अच्छा होता है?

जी हां, ओमेगा-3 फैटी एसिड सेहत के लिए अच्छा होता है, क्योंकि यह दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

32. क्या ज्यादा वसा खाने से मोटापा बढ़ता है?

जी हां, ज्यादा वसा खाने से मोटापा बढ़ सकता है, खासकर अगर वसा की मात्रा संतृप्त या ट्रांस फैट हो।

33. क्या अधिक सोडियम सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है?

जी हां, ज्यादा सोडियम से रक्तचाप बढ़ सकता है और दिल की बीमारियां हो सकती हैं।

34. क्या प्रोटीन खाने से मसल्स मजबूत होते हैं?

जी हां, प्रोटीन मसल्स को मजबूत बनाने में मदद करता है।

35. क्या फाइबर से पाचन क्रिया सही रहती है?

जी हां, फाइबर से पाचन क्रिया सही रहती है और पेट साफ रहता है।

36. क्या "लो फैट" वाले उत्पाद हमेशा स्वस्थ होते हैं?

नहीं, "लो फैट" वाले उत्पादों में अन्य हानिकारक तत्व जैसे शुगर हो सकते हैं।

37. क्या शुगर फ्री का मतलब है कि वह खाना स्वस्थ है?

नहीं, शुगर फ्री का मतलब यह नहीं है कि वह खाना हमेशा स्वस्थ होगा। उसमें आर्टिफिशियल स्वीटनर हो सकते हैं।

38. क्या लेबल पर पोषक तत्वों की मात्रा देखना महत्वपूर्ण है?

जी हां, पोषक तत्वों की मात्रा देखना महत्वपूर्ण है, ताकि आप स्वस्थ और संतुलित आहार चुन सकें।

39. क्या जंक फूड्स में ज्यादा शुगर होती है?

जी हां, जंक फूड्स में अधिकतर शुगर और कैलोरी होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।

40. क्या हमें हमेशा "लो कैलोरी" खाद्य पदार्थ चुनने चाहिए?

लो कैलोरी खाद्य पदार्थ चुनने से वजन नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन अन्य पोषक तत्वों का भी ध्यान रखें।

41. क्या प्रोटीन से वजन बढ़ सकता है?

प्रोटीन से वजन नहीं बढ़ता, लेकिन अगर आप अधिक कैलोरी के साथ अधिक प्रोटीन खा रहे हैं, तो वजन बढ़ सकता है।

42. क्या सोडियम को नियंत्रित रखना चाहिए?

जी हां, सोडियम को नियंत्रित रखना चाहिए, क्योंकि ज्यादा सोडियम से रक्तचाप बढ़ सकता है।

43. क्या "लो शुगर" का मतलब यह है कि वह खाना बिना शुगर के है?

नहीं, "लो शुगर" का मतलब यह नहीं है कि उसमें शुगर नहीं होती, बल्कि शुगर की मात्रा कम होती है।

44. क्या फाइबर से वजन कम हो सकता है?

जी हां, फाइबर से वजन कम करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि यह पेट को भरता है और अधिक खाने से बचाता है।

45. क्या पौष्टिक खाद्य पदार्थों में शुगर होना चाहिए?

पौष्टिक खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक शुगर हो सकती है, लेकिन कृत्रिम शुगर से बचना चाहिए।

46. क्या बच्चों को पोषण लेबल पढ़ने की आदत डालनी चाहिए?

जी हां, बच्चों को पोषण लेबल पढ़ने की आदत डालनी चाहिए ताकि वे स्वस्थ आहार का चयन कर सकें।

47. क्या फैट से ऊर्जा मिलती है?

जी हां, फैट से शरीर को ऊर्जा मिलती है, लेकिन ज्यादा फैट सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

48. क्या लेबल पर फाइबर देखना चाहिए?

जी हां, फाइबर देखना चाहिए क्योंकि यह पाचन के लिए फायदेमंद है।

49. क्या "लो फैट" खाद्य पदार्थों में शुगर नहीं होती?

लो फैट खाद्य पदार्थों में अक्सर शुगर हो सकती है, इसलिए उन्हें ध्यान से चुनें।

50. क्या अधिक प्रोटीन सेहत के लिए अच्छा होता है?

प्रोटीन की सही मात्रा सेहत के लिए अच्छा होता है, लेकिन अत्यधिक प्रोटीन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

 

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