Hepatic Encephalopathy (हेपेटिक एन्सेफलोपैथी): कारण, लक्षण और उपचार

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के कारण, लक्षण और इलाज को आसान हिंदी में समझाते हुए शैक्षिक चित्रण

Hepatic Encephalopathy (हेपेटिक एन्सेफलोपैथी): कारण, लक्षण और उपचार

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी क्या होती है?

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी एक दिमागी बीमारी है, जो की लिवर की खराबी के कारण होती है। जब लिवर अपने काम सही से नहीं करता, तो खून में जहरीले तत्व (toxins) जमा हो जाते हैं। ये तत्व दिमाग तक पहुंचते हैं और उसके काम में रुकावट डालते हैं। इसलिए इसे लिवर से जुड़ी मानसिक बीमारी भी कहा जाता है।

यह बीमारी धीरे-धीरे भी आ सकती है और कभी-कभी अचानक भी हो जाती है। आमतौर पर मरीज को शुरुआत में ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है। जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती है, मरीज को बोलने, सोचने और पहचानने में कठिनाई होती है।

यह बीमारी कैसी दिखती है?

  • अचानक नींद ज्यादा आना

  • बात करते समय उलझन होना

  • हाथ कांपना या अजीब हरकतें

  • चक्कर आना और कभी-कभी बेहोशी

इस बीमारी को समझना क्यों जरूरी है?

  • क्योंकि यह लिवर फेल होने का पहला संकेत हो सकता है

  • समय पर इलाज से मरीज की जान बच सकती है

  • सही जानकारी से आप लक्षण जल्दी पहचान सकते हैं

  • घर पर देखभाल करना आसान हो जाता है

इसलिए, अगर किसी को लिवर की पुरानी बीमारी है, तो हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के लक्षण पहचानना बहुत जरूरी है।

 

● यह बीमारी कैसे होती है?

लिवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह हमारे शरीर से हानिकारक और जहरीले तत्वों को बाहर निकालता है। लेकिन जब लिवर बीमार होता है या खराब हो जाता है, तो वह इन टॉक्सिन्स को साफ नहीं कर पाता। ऐसे में ये तत्व खून में जमा हो जाते हैं और सीधे दिमाग तक पहुंच जाते हैं।

इस वजह से दिमाग का सामान्य कामकाज रुकने लगता है और मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है।

● हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में दिमाग कैसे प्रभावित होता है?

जब खून में अमोनिया जैसे टॉक्सिन्स बढ़ जाते हैं, तो वे न्यूरॉन (दिमाग की कोशिकाओं) पर असर डालते हैं। इसका असर कुछ इस तरह होता है:

  • सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है

  • याददाश्त कमजोर हो जाती है

  • बातों को समझने या बोलने में परेशानी होने लगती है

  • व्यवहार में बदलाव आता है

  • धीरे-धीरे कोमा जैसी स्थिति भी आ सकती है

दिमाग की रफ्तार धीरे होने लगती है, जिससे व्यक्ति सामान्य चीज़ें भी सही से नहीं कर पाता।

● आसान शब्दों में समझें – क्यों होती है यह बीमारी?

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी तब होती है जब:

  • लिवर फेल हो जाता है या सिरोसिस हो जाता है

  • शरीर से टॉक्सिन्स बाहर नहीं निकलते

  • खून में जहरीले तत्व बढ़ जाते हैं

  • ये तत्व दिमाग तक पहुंचते हैं

  • दिमाग का नियंत्रण कमजोर होने लगता है

● किन कारणों से लिवर फेल होता है?

  • शराब का ज्यादा सेवन

  • लंबे समय से लिवर सिरोसिस

  • वायरल हेपेटाइटिस

  • जहर या दवाओं का गलत उपयोग

  • बार-बार कब्ज या पेट में इंफेक्शन

इन कारणों से लिवर कमजोर होता जाता है, और फिर धीरे-धीरे हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का खतरा बढ़ जाता है।

● लक्षण कब नजर आते हैं?

शुरुआत में लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन समय पर इलाज न हो तो स्थिति बिगड़ जाती है। आम लक्षण:

  • नींद ज्यादा आना या बार-बार झपकी आना

  • बातचीत में भ्रम या गड़बड़

  • चक्कर आना या संतुलन बिगड़ना

  • हाथ कांपना या झटके आना

  • समय, स्थान या व्यक्ति पहचानने में दिक्कत

● क्यों जरूरी है समय पर पहचान और इलाज?

अगर समय रहते हेपेटिक एन्सेफलोपैथी की पहचान हो जाए, तो इलाज से मरीज की स्थिति सुधारी जा सकती है।

  • लैक्टुलोज जैसी दवाएं टॉक्सिन्स को बाहर निकालती हैं

  • संतुलित भोजन और परहेज़ से लिवर का बोझ कम होता है

  • जरूरत पड़ने पर लिवर ट्रांसप्लांट भी विकल्प बनता है

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह लिवर की गंभीर बीमारी का संकेत है। यदि किसी व्यक्ति को पहले से लिवर संबंधी समस्याएं हैं, तो उसे दिमागी लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए।
सही समय पर जांच और इलाज से इस स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

 

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के लक्षण –

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी एक गंभीर दिमागी बीमारी है, जो लिवर की खराबी के कारण होती है। जब लिवर ठीक से काम नहीं करता, तो खून में जमा जहरीले तत्व (toxins) दिमाग तक पहुंचते हैं। इससे मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। लेकिन सवाल यह है कि हम इस बीमारी को पहचानें कैसे?

इसका जवाब है – लक्षणों को सही समय पर समझना। आइए, अब हम हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के आम लक्षणों को विस्तार से समझते हैं।

● सोचने में दिक्कत

सबसे पहला और आम लक्षण यह है कि व्यक्ति को सोचने में परेशानी होने लगती है।

  • बातों को जल्दी समझ नहीं पाता

  • फैसले लेने में समय लगने लगता है

  • छोटी-छोटी चीज़ों में उलझ जाता है

  • कभी-कभी भ्रम की स्थिति भी हो जाती है

इसका मतलब है कि दिमाग की सामान्य प्रक्रिया धीमी हो रही है, और यह हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का संकेत हो सकता है।

● नींद का बिगड़ना (ज्यादा या कम नींद आना)

जब दिमाग प्रभावित होता है, तो नींद पर उसका सीधा असर पड़ता है।

  • कुछ लोगों को बार-बार नींद आती है

  • तो कुछ लोग बिल्कुल नहीं सो पाते

  • दिन में नींद आना और रात को जागना भी आम है

नींद का समय और मात्रा बदलना इस बीमारी का संकेत हो सकता है।

● चक्कर आना या होश खोना

अक्सर देखा गया है कि मरीज को सिर भारी लगता है या चक्कर आते हैं।

  • धीरे-धीरे यह स्थिति बेहोशी तक भी पहुंच सकती है

  • चलते समय संतुलन बिगड़ सकता है

  • बैठते-बैठते गिर जाने की संभावना रहती है

यह लक्षण बताते हैं कि दिमाग पर जहरीले पदार्थों का असर हो रहा है।

● बोलने और समझने में परेशानी

जब टॉक्सिन्स दिमाग को प्रभावित करते हैं, तो मरीज की बोलने की क्षमता पर असर पड़ता है।

  • शब्द गलत बोलता है

  • बात पूरी नहीं कर पाता

  • दूसरों की बातें भी ठीक से नहीं समझ पाता

  • जवाब देने में देरी करता है

ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

● हाथ कांपना (Tremors)

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में हाथों का कांपना एक गंभीर संकेत हो सकता है।

  • लिखते समय हाथ कांपते हैं

  • चीज़ें पकड़ने में कठिनाई होती है

  • कांपने की वजह से रोज़मर्रा के काम मुश्किल हो जाते हैं

यह दिखाता है कि दिमाग से मिलने वाले संकेत हाथों तक ठीक से नहीं पहुंच रहे हैं।

● अन्य लक्षण जो देखने को मिल सकते हैं:

  • बात करते समय धीमापन

  • चिड़चिड़ापन या मूड स्विंग

  • समय और स्थान की पहचान में गड़बड़ी

  • नींद में बड़बड़ाना या असामान्य हरकतें

  • दिन-प्रतिदिन की बातों को भूलना

क्यों जरूरी है इन लक्षणों को समझना?

अब यह समझना जरूरी है कि हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का जल्दी पहचानना ही इसका पहला इलाज है।

  • अगर लक्षण नजर आ जाएं तो इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है

  • इससे बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है

  • मरीज की स्थिति जल्दी सुधर सकती है

इसलिए अगर किसी को लिवर की बीमारी पहले से है, तो ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण को हल्के में न लें।

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं, लेकिन समय के साथ गंभीर हो सकते हैं।
अगर समय रहते इन संकेतों को पहचान लिया जाए, तो इलाज आसान हो जाता है और मरीज की ज़िंदगी बचाई जा सकती है।
हमेशा याद रखें – लक्षणों को पहचानना, बचाव की पहली सीढ़ी है।

 

 

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के कारण –

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी एक गंभीर स्थिति है जो लिवर की खराबी के कारण होती है। जब लिवर सही से काम नहीं करता, तो खून में टॉक्सिन्स (जहरीले पदार्थ) जमा होने लगते हैं। ये टॉक्सिन्स दिमाग तक पहुंच जाते हैं और वहां पर असर डालते हैं।

अब सवाल यह उठता है – लिवर क्यों खराब होता है?
इसका जवाब है – कुछ विशेष कारण जो इस बीमारी की जड़ बनते हैं। आइए, अब विस्तार से समझते हैं हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के प्रमुख कारणों को।

● लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis)

लिवर सिरोसिस, हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का सबसे आम कारण है।

  • यह तब होता है जब लिवर की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट हो जाती हैं

  • लिवर सख्त हो जाता है और अपना काम नहीं कर पाता

  • इससे खून की सफाई रुक जाती है और जहरीले तत्व दिमाग तक पहुंचते हैं

अगर किसी को सिरोसिस है, तो उसे हेपेटिक एन्सेफलोपैथी होने का खतरा ज्यादा होता है।

● शराब का ज्यादा सेवन

लगातार और ज्यादा शराब पीना लिवर को कमजोर कर देता है।

  • शराब लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है

  • यह सिरोसिस की शुरुआत कर सकती है

  • लंबे समय तक पीने से लिवर पूरी तरह फेल हो सकता है

इसलिए, शराब छोड़ना या सीमित मात्रा में लेना जरूरी है, ताकि लिवर स्वस्थ रहे।

● जहरीले पदार्थों का खून में जमा होना

लिवर का काम है शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालना।
लेकिन जब लिवर कमजोर हो जाता है, तो:

  • अमोनिया जैसे टॉक्सिन्स खून में बढ़ जाते हैं

  • ये सीधा दिमाग तक पहुंचते हैं

  • दिमाग की कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं

इसी कारण से हेपेटिक एन्सेफलोपैथी की शुरुआत होती है।

● पेट की समस्याएं – कब्ज और सूजन

कब्ज और पेट की सूजन भी इस बीमारी को बढ़ावा दे सकती है।

  • कब्ज से शरीर में टॉक्सिन्स रुक जाते हैं

  • ये धीरे-धीरे खून में घुलने लगते हैं

  • पेट की सूजन से लिवर पर दबाव बढ़ता है

इसलिए पाचन तंत्र का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है।

● संक्रमण (Infection) या ब्लीडिंग

अगर किसी मरीज को शरीर में कोई इंफेक्शन हो जाए, तो यह लिवर पर असर डाल सकता है।

  • इंफेक्शन से शरीर में सूजन और टॉक्सिन्स बढ़ते हैं

  • आंतों या पेट में ब्लीडिंग से भी टॉक्सिन्स बनते हैं

  • ये टॉक्सिन्स सीधे दिमाग को नुकसान पहुंचा सकते हैं

इसलिए संक्रमण या ब्लीडिंग को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

✔ अन्य कारण

दवाओं का गलत उपयोग, जैसे नींद की गोलियां या पेनकिलर

  • किडनी फेलियर, जिससे शरीर में वेस्ट जमा हो जाता है

  • डिहाइड्रेशन, यानी शरीर में पानी की कमी

  • प्रोटीन की ज्यादा मात्रा, खासकर लिवर सिरोसिस वालों के लिए

क्यों जरूरी है कारणों को जानना?

अगर हमें बीमारी के कारण पहले से पता हों, तो हम:

  • जोखिम को कम कर सकते हैं

  • शुरुआती लक्षण पहचान सकते हैं

  • सही समय पर इलाज शुरू कर सकते हैं

  • गंभीर स्थिति से बच सकते हैं

यही वजह है कि हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के कारणों को जानना और समझना हर मरीज और परिवार के लिए जरूरी है।

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी अचानक नहीं होती। यह धीरे-धीरे लिवर की खराबी के कारण बढ़ती है।
लिवर सिरोसिस, शराब का सेवन, कब्ज, पेट की सूजन, या इंफेक्शन जैसे कारण इस बीमारी को जन्म देते हैं।
अगर इन कारणों को समय रहते पहचान लिया जाए, तो इस गंभीर दिमागी बीमारी से बचाव संभव है।

 

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी कैसे होती है?

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी एक गंभीर दिमागी समस्या है जो तब होती है जब लिवर ठीक से काम करना बंद कर देता है।
पर अब सवाल यह है कि – यह बीमारी होती कैसे है?
इसका जवाब हम बेहद सरल भाषा में समझते हैं, ताकि हर कोई इसे आसानी से जान सके।

● जब लिवर अपना काम नहीं करता

लिवर हमारे शरीर का एक बहुत जरूरी अंग है। इसका काम है:

  • खून को साफ करना

  • जहरीले तत्वों को बाहर निकालना

  • पाचन में मदद करना

  • शरीर में जरूरी प्रोटीन बनाना

लेकिन, जब लिवर किसी बीमारी (जैसे लिवर सिरोसिस) की वजह से कमजोर हो जाता है या खराब हो जाता है,
तो वह अपना मुख्य काम – खून को साफ करना – ठीक से नहीं कर पाता।

● जहरीले तत्व खून में बढ़ जाते हैं

जैसे ही लिवर कमजोर होता है, शरीर के अंदर जहरीले पदार्थ (जैसे कि अमोनिया) जमा होने लगते हैं।

  • ये पदार्थ पेशाब या पाचन के ज़रिए बाहर नहीं निकल पाते

  • धीरे-धीरे ये खून में घुल जाते हैं

  • खून के ज़रिए ये पूरे शरीर में फैलने लगते हैं

यही वे टॉक्सिन्स हैं जो आगे चलकर दिमाग को नुकसान पहुँचाते हैं।

● ये टॉक्सिन्स दिमाग तक पहुंचते हैं

दिमाग बेहद संवेदनशील अंग है।
जब जहरीले तत्व खून के ज़रिए दिमाग तक पहुंचते हैं, तो:

  • दिमाग की कोशिकाएं धीमी हो जाती हैं

  • सोचने, समझने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता पर असर पड़ता है

  • दिमागी संतुलन बिगड़ने लगता है

धीरे-धीरे यह असर बढ़ता जाता है और मरीज को कई मानसिक समस्याएं होने लगती हैं।

● दिमाग का काम बिगड़ जाता है

जब दिमाग में जहरीले तत्व जमा हो जाते हैं, तब:

  • व्यक्ति को भ्रम होने लगता है

  • वह चीज़ें भूलने लगता है

  • बोलने और समझने में परेशानी होती है

  • कभी-कभी बेहोशी या कोमा भी हो सकता है

यही स्थिति हेपेटिक एन्सेफलोपैथी कहलाती है।

✔ हेपेटिक एन्सेफलोपैथी होने की प्रक्रिया :

  • लिवर खराब होता है

  • लिवर खून को साफ नहीं कर पाता

  • खून में जहरीले तत्व जमा हो जाते हैं

  • ये टॉक्सिन्स दिमाग तक पहुंचते हैं

  • दिमाग की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है

  • व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाता है

क्यों समझना जरूरी है कि हेपेटिक एन्सेफलोपैथी कैसे होती है?

  • समय पर सही जानकारी मिलने से इलाज जल्दी हो सकता है

  • शुरुआती लक्षणों को पहचानने में मदद मिलती है

  • लिवर की सेहत का महत्व समझ आता है

  • हम बीमारी को गंभीर होने से पहले रोक सकते हैं

अगर किसी को लिवर से जुड़ी बीमारी है, तो यह जानना जरूरी है कि यह बीमारी कैसे दिमाग को भी प्रभावित कर सकती है।

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी तब होती है जब लिवर अपना काम छोड़ देता है।
इससे खून में जहरीले तत्व बढ़ते हैं और दिमाग को नुकसान पहुँचाते हैं।
अगर हम यह प्रक्रिया समय रहते समझ लें, तो इस बीमारी से बचाव करना और भी आसान हो जाता है।

 

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के प्रकार –

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी एक गंभीर स्थिति है, लेकिन यह हर मरीज में एक जैसी नहीं होती।
कुछ लोगों में यह अचानक शुरू होती है, जबकि कुछ में यह धीरे-धीरे बढ़ती है।
कई बार यह बीमारी बार-बार लौटकर आती है।
इसलिए इसे तीन मुख्य प्रकारों में बांटा गया है। आइए, इन तीनों प्रकारों को सरल भाषा में समझते हैं।

● पहला प्रकार – अचानक होने वाली हेपेटिक एन्सेफलोपैथी (Acute Hepatic Encephalopathy)

इस प्रकार में रोग अचानक और तेज़ी से शुरू होता है।

  • आमतौर पर यह अचानक लिवर फेल होने की स्थिति में होता है।

  • मरीज को कुछ घंटों या दिनों में ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

  • इस स्थिति में मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करना ज़रूरी होता है।

मुख्य लक्षण:

  • तेज़ उलझन या भ्रम

  • अचानक बोलने या समझने में दिक्कत

  • बेहोशी या कोमा तक पहुंचना

इसका इलाज समय पर न हो तो जान का खतरा बढ़ सकता है।
इसलिए यह सबसे गंभीर प्रकार माना जाता है।

● दूसरा प्रकार – धीरे-धीरे बढ़ने वाली हेपेटिक एन्सेफलोपैथी (Chronic Hepatic Encephalopathy)

इस प्रकार में बीमारी धीरे-धीरे शरीर में बढ़ती है।

  • यह लंबे समय से सिरोसिस से पीड़ित मरीजों में ज्यादा देखने को मिलती है।

  • लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं, जिससे मरीज और परिजन अक्सर इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

मुख्य लक्षण:

  • याददाश्त में कमी

  • छोटी बातों में भ्रम होना

  • दिन-प्रतिदिन व्यवहार में बदलाव

इस प्रकार के मरीज को नियमित दवा, डाइट और मेडिकल जांच की आवश्यकता होती है।
यदि समय पर ध्यान दिया जाए, तो मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।

● तीसरा प्रकार – बार-बार आने वाली हेपेटिक एन्सेफलोपैथी (Recurrent Hepatic Encephalopathy)

इस प्रकार में बीमारी एक बार ठीक होने के बाद फिर से वापस आती है।

  • यह स्थिति तब बनती है जब इलाज अधूरा रह जाता है या मरीज लिवर की देखभाल नहीं करता।

  • हर बार लक्षण पहले से थोड़े अलग या ज्यादा गंभीर हो सकते हैं।

मुख्य कारण:

  • दवाओं का छूट जाना

  • संक्रमण या ब्लीडिंग

  • अधिक प्रोटीन या शराब का सेवन

इस प्रकार में सतर्कता और समय पर इलाज बहुत जरूरी होता है।

✔ हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के प्रकारों को एक नजर में समझें:

प्रकार

लक्षणों की गति

गंभीरता

आम कारण

अचानक शुरू होने वाला

तेज़

बहुत अधिक

अचानक लिवर फेल होना

धीरे-धीरे बढ़ने वाला

धीमा

मध्यम

पुराना सिरोसिस

बार-बार आने वाला

अनियमित

बदलता हुआ

अधूरा इलाज या लापरवाही

क्यों जरूरी है यह जानना कि कितने प्रकार होते हैं?

  • सही प्रकार की पहचान से सही इलाज तय होता है

  • मरीज और परिवार मानसिक रूप से तैयार रह सकते हैं

  • बार-बार लौटने वाली बीमारी को रोका जा सकता है

  • इलाज की योजना को बेहतर बनाया जा सकता है

अगर हम प्रकार पहचान लें, तो इलाज की दिशा भी तय हो जाती है और मरीज की ज़िंदगी बेहतर बन सकती है।

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के तीन मुख्य प्रकार होते हैं –
अचानक होने वाली, धीरे-धीरे बढ़ने वाली और बार-बार लौटने वाली।
हर प्रकार की पहचान और देखभाल अलग होती है।
समय पर समझना और इलाज करना ही सबसे बड़ा बचाव है।

 

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी की जांच कैसे होती है?

जब किसी को लगातार मानसिक भ्रम, बोलने में दिक्कत या बेहोशी जैसा महसूस होने लगे और उसके साथ लिवर की बीमारी हो,
तब डॉक्टर को शक होता है कि मरीज को हेपेटिक एन्सेफलोपैथी हो सकती है।
पर सिर्फ लक्षण देखकर ही कोई डॉक्टर फैसला नहीं करता।
इसलिए जांच (Diagnosis) करना जरूरी होता है।

अब सवाल उठता है – डॉक्टर कैसे पता लगाते हैं कि यह बीमारी है या नहीं?

आइए आसान भाषा में समझते हैं।

● खून की जांच (Blood Test)

सबसे पहले डॉक्टर खून की जांच करवाते हैं, जिससे कई जरूरी बातें पता चलती हैं।

  • खून में अमोनिया (Ammonia) की मात्रा मापी जाती है

  • ज्यादा अमोनिया हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का मुख्य संकेत हो सकता है

  • इसके अलावा, शरीर में संक्रमण या दूसरी दिक्कतें भी दिख सकती हैं

खून की जांच से यह भी पता चलता है कि लिवर शरीर को कितना साफ कर पा रहा है।

● लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test - LFT)

इसके बाद किया जाता है लिवर फंक्शन टेस्ट, जिसे LFT कहा जाता है।
इस जांच से पता चलता है कि लिवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं।

LFT में निम्नलिखित चीजें जांची जाती हैं:

  • बिलिरुबिन (Bilirubin)

  • ALT और AST एंजाइम्स

  • प्रोटीन और एल्ब्यूमिन का स्तर

अगर लिवर सही से काम नहीं कर रहा हो, तो ये सारे मानक बिगड़ जाते हैं।
यह जांच हेपेटिक एन्सेफलोपैथी की पुष्टि में मदद करती है।

● दिमाग की जांच – एमआरआई या सीटी स्कैन

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी दिमाग को प्रभावित करती है।
इसलिए डॉक्टर कभी-कभी MRI या CT स्कैन भी करवाते हैं।

  • MRI (Magnetic Resonance Imaging) से दिमाग की संरचना साफ दिखाई देती है

  • CT Scan से भी सूजन या अन्य दिक्कतें पकड़ी जा सकती हैं

इन जांचों से यह पता चलता है कि मानसिक लक्षण किसी और कारण से तो नहीं हो रहे।

● अन्य जांचें जो कभी-कभी की जाती हैं:

  • EEG (Electroencephalogram): इससे दिमाग की तरंगें रिकॉर्ड होती हैं

  • Ammonia Repeat Test: कभी-कभी बार-बार खून में अमोनिया की जांच की जाती है

  • Neuropsychological Tests: सोचने-समझने की क्षमता का परीक्षण

✔ जांच की प्रक्रिया को एक नज़र में देखें:

जांच का नाम

क्या पता चलता है

खून की जांच

अमोनिया स्तर, संक्रमण आदि

लिवर फंक्शन टेस्ट

लिवर की कार्यक्षमता

MRI/CT स्कैन

दिमाग में बदलाव या सूजन

EEG

दिमाग की विद्युत गतिविधि

क्यों जरूरी है सही जांच करवाना?

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी और सामान्य मानसिक रोगों में फर्क करना

  • बीमारी की गंभीरता को जानना

  • सही इलाज तय करना

  • भविष्य में बीमारी को दोहराने से रोकना

अगर जांच समय पर हो जाए, तो बीमारी को शुरुआती स्तर पर ही संभाला जा सकता है।

 

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर कई प्रकार की जांच करते हैं।
खून, लिवर और दिमाग – तीनों की स्थिति देखकर बीमारी का सही अंदाज़ा लगाया जाता है।
समय पर जांच और सही निदान ही इस बीमारी से लड़ने की पहली सीढ़ी है।

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का इलाज

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें लिवर ठीक से काम नहीं करता और खून में जमा ज़हरीले तत्व दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं।
पर अच्छी बात यह है कि समय रहते इसका इलाज किया जाए, तो मरीज की हालत बेहतर हो सकती है।
आइए विस्तार से समझते हैं कि हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का इलाज कैसे किया जाता है।

✅ इलाज के मुख्य तरीके:

1. लैक्टुलोज दवा – टॉक्सिन कम करने के लिए

लैक्टुलोज एक खास तरह की सिरप होती है जो आंतों में अमोनिया जैसे टॉक्सिन को कम करती है।

  • यह दवा मल को नरम करती है

  • इससे टॉक्सिन शरीर से बाहर निकल जाते हैं

  • यह दिमाग पर असर करने वाले जहरीले तत्वों को घटाती है

डॉक्टर लैक्टुलोज की खुराक मरीज की स्थिति के अनुसार तय करते हैं।

2. एंटीबायोटिक दवाएं – बैक्टीरिया को हटाने के लिए

अक्सर आंतों में कुछ बैक्टीरिया अमोनिया बनाते हैं।
इसलिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स जैसे – रिफैक्सिमिन (Rifaximin) दवा लिखते हैं।

  • यह दवा हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करती है

  • इससे अमोनिया का स्तर घटता है

  • मरीज की मानसिक स्थिति में सुधार आता है

3. सही खान-पान और डाइट – बहुत जरूरी हिस्सा

सही डाइट न केवल लिवर को राहत देती है बल्कि दिमाग को भी ठीक रखने में मदद करती है।

डाइट में ध्यान रखने योग्य बातें:

  • प्रोटीन की मात्रा संतुलित होनी चाहिए

  • ज्यादा मीठा और नमक से बचें

  • ताजे फल, उबली सब्जियां और दालें खाएं

  • पानी भरपूर पिएं

  • बाहर का तला-भुना बिलकुल न खाएं

अगर मरीज को कब्ज हो, तो फाइबर वाली चीजें खाना जरूरी है।

4. लिवर ट्रांसप्लांट – जब कोई और उपाय न बचे

अगर लिवर पूरी तरह खराब हो जाए और बाकी इलाज असर न करें,
तब डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट का सुझाव देते हैं।

  • यह एक बड़ा ऑपरेशन होता है

  • मरीज को नया लिवर ट्रांसप्लांट किया जाता है

  • इसके बाद मरीज को दवाएं और विशेष देखभाल की जरूरत होती है

यह इलाज आखिरी विकल्प होता है, पर कई बार जान बचाने में काम आता है।

इलाज के साथ जरूरी बातें:

  • दवाएं समय पर लें

  • डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न छोड़ें

  • शराब से पूरी तरह परहेज करें

  • नियमित जांच करवाएं

  • परिवार को भी बीमारी के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का इलाज जल्दी शुरू हो जाए, तो मरीज की हालत में बड़ा सुधार हो सकता है।
लैक्टुलोज, एंटीबायोटिक्स, संतुलित खान-पान और सही समय पर लिवर ट्रांसप्लांट – ये सभी उपाय मिलकर मरीज की जिंदगी बदल सकते हैं।

क्या खाना चाहिए?

जब किसी व्यक्ति को हेपेटिक एन्सेफलोपैथी होती है, तो उसके लिए सही खाना बहुत जरूरी हो जाता है।
इस बीमारी में लिवर ठीक से काम नहीं करता और जहरीले पदार्थ खून में जमा हो जाते हैं, जिससे दिमाग पर असर पड़ता है।
इसीलिए, हल्का और संतुलित आहार ही सबसे बेहतर होता है।

आइए विस्तार से समझते हैं कि हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।

1. हल्का और कम प्रोटीन वाला खाना

  • ज्यादा भारी और प्रोटीन वाला खाना लिवर पर बोझ डालता है।

  • इसलिए, प्रोटीन की मात्रा नियंत्रित रखें, लेकिन पूरी तरह से प्रोटीन छोड़ना सही नहीं।

  • अच्छा होगा कि आप कम प्रोटीन वाले आहार जैसे दूध, दही, और दालों का सेवन करें।

  • अनावश्यक मांसाहारी भोजन और जंक फूड से बचें।

ध्यान दें:

  • मांसाहारी प्रोटीन की जगह दालें, मूंग, चना जैसी सब्जियों से प्रोटीन लें।

  • प्रोटीन की मात्रा दिन में 0.6 से 0.8 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के अनुसार रखें।

2. हरी सब्जियां और फल

  • ताजी हरी सब्जियां और फल लिवर को साफ रखने में मदद करते हैं।

  • ये शरीर को आवश्यक विटामिन और मिनरल्स देते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।

  • फाइबर युक्त सब्जियां कब्ज की समस्या से बचाती हैं, जो इस बीमारी में बहुत जरूरी है।

कुछ सुझाव:

  • पालक, मेथी, भिंडी, गाजर जैसी हरी सब्जियां

  • सेब, केला, संतरा जैसे फल रोजाना खाएं

  • पके हुए और साफ़ फल ही खाएं

3. पानी ज्यादा पीना

  • शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी होता है।

  • ज्यादा पानी पीने से टॉक्सिन जल्दी बाहर निकलते हैं।

  • रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने की कोशिश करें।

  • साथ ही, अगर डॉक्टर ने कोई तरल पदार्थ पर रोक लगाई है, तो उसका पालन जरूर करें।

4. शराब से दूर रहना

  • सबसे जरूरी है कि शराब का सेवन पूरी तरह बंद करें।

  • शराब लिवर को और नुकसान पहुंचाती है और बीमारी को बढ़ा देती है।

  • इससे लिवर की बीमारी जल्दी बढ़ती है और दिमाग पर असर ज्यादा होता है।

  • परिवार और दोस्तों का सहयोग लेकर शराब से दूर रहें।

5. अन्य जरूरी बातें

  • तला-भुना और ज्यादा मसालेदार खाना न खाएं।

  • खाना छोटे-छोटे भागों में दिन में 4-5 बार खाएं।

  • नमक की मात्रा कम करें, क्योंकि ज्यादा नमक सूजन बढ़ा सकता है।

  • अगर कब्ज की समस्या हो तो फाइबर और पानी का खास ध्यान रखें।

क्या खाना चाहिए

क्या नहीं खाना चाहिए

हल्का और कम प्रोटीन वाला खाना

भारी, तला-भुना, मांसाहारी भोजन

हरी सब्जियां और फल

ज्यादा मसालेदार और नमकीन खाना

पानी खूब पीना

शराब और शराबी पदार्थ

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में सही और संतुलित डाइट बहुत महत्वपूर्ण है।
हल्का, कम प्रोटीन वाला खाना, हरी सब्जियां, फल, और खूब पानी पीने से लिवर और दिमाग को आराम मिलता है।
साथ ही शराब से पूरी तरह बचाव करना बीमारी को बढ़ने से रोकता है।

बचाव के उपाय

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी एक गंभीर बीमारी है, जो लिवर की समस्या के कारण दिमाग पर असर डालती है।
लेकिन सही सावधानी और बचाव से आप इस बीमारी को होने से रोक सकते हैं।
इसलिए, यह बहुत जरूरी है कि हम लिवर का सही ख्याल रखें और कुछ खास बातों का ध्यान रखें।

आइए जानते हैं, हेपेटिक एन्सेफलोपैथी से बचाव के मुख्य उपाय क्या हैं।

1. लिवर का ख्याल रखें

  • लिवर हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो जहरीले पदार्थों को साफ करता है।

  • इसलिए, लिवर की सेहत का खास ख्याल रखें।

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसमें संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और व्यायाम शामिल हो।

  • भारी और जंक फूड से बचें, क्योंकि ये लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं।

  • दवाइयों का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें।

2. शराब से परहेज करें

  • शराब लिवर के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

  • अगर आप शराब पीते हैं, तो तुरंत इसे छोड़ने की कोशिश करें।

  • शराब से लिवर जल्दी खराब होता है, जिससे हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का खतरा बढ़ जाता है।

  • शराब न पीने से लिवर स्वस्थ रहता है और दिमाग पर भी अच्छा असर पड़ता है।

3. संक्रमण से बचें

  • संक्रमण भी लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है और हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का कारण बन सकता है।

  • हाथों को साफ रखें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें।

  • संक्रमित पानी या गंदे भोजन से बचें।

  • टीकाकरण करवाएं, खासकर हेपेटाइटिस A और B के लिए।

  • अगर किसी तरह की बीमारी हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।

4. नियमित जांच कराएं

  • लिवर से जुड़ी बीमारी होने पर समय-समय पर डॉक्टर के पास जांच करवाते रहें।

  • इससे बीमारी का पता जल्दी चलता है और सही इलाज शुरू किया जा सकता है।

  • नियमित जांच से आप अपने लिवर की सेहत पर नजर रख सकते हैं।

  • खून की जांच, लिवर टेस्ट और दिमाग की जांच समय-समय पर जरूरी होती है।

5. अन्य बचाव के उपाय

  • कब्ज न होने दें क्योंकि कब्ज से टॉक्सिन बढ़ सकते हैं।

  • हल्का और संतुलित भोजन खाएं, जिसमें हरी सब्जियां और फल शामिल हों।

  • ज्यादा नमक और मसाले से बचें।

  • तनाव कम करें क्योंकि तनाव से भी लिवर पर असर पड़ता है।

बचाव के उपाय

क्यों जरूरी है?

लिवर का ख्याल रखें

लिवर स्वस्थ रहना बीमारी से बचाव करता है

शराब से परहेज करें

शराब लिवर को नुकसान पहुंचाती है

संक्रमण से बचें

संक्रमण लिवर और दिमाग पर बुरा असर डालता है

नियमित जांच कराएं

समय पर पता लगने से इलाज आसान होता है

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है लिवर की देखभाल और सही जीवनशैली।
शराब से दूर रहें, संक्रमण से बचाव करें, और नियमित जांच कराते रहें।
इसके अलावा, साफ-सफाई का ध्यान रखें और सही खान-पान अपनाएं।

निष्कर्ष –

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर पहचान और इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
इसलिए, यदि किसी को इसके लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जल्दी इलाज बीमारी को बढ़ने से रोकता है और दिमाग की सुरक्षा करता है।

इसके साथ ही, लिवर का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। लिवर स्वस्थ रहे, इसके लिए सही खानपान, शराब से परहेज और संक्रमण से बचाव आवश्यक हैं।
अगर लिवर ठीक रहेगा तो जहरीले पदार्थ खून में नहीं बढ़ेंगे और दिमाग भी सुरक्षित रहेगा।

इसके अलावा, हेल्दी जीवनशैली अपनाना बीमारी से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।

  • संतुलित आहार लें

  • नियमित व्यायाम करें

  • तनाव से दूर रहें

  • और नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं

इन उपायों को अपनाकर आप न केवल हेपेटिक एन्सेफलोपैथी से बच सकते हैं, बल्कि पूरी सेहत भी मजबूत बना सकते हैं।

हेपेटिक एन्सेफलोपैथी (Hepatic Encephalopathy). से सम्बंधित कुछ सवाल-जवाब यानि FAQs :--

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी क्या है?
    हेपेटिक एन्सेफलोपैथी लिवर की खराबी से दिमाग पर असर डालने वाली बीमारी है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी कैसे होती है?
    जब लिवर ठीक से काम नहीं करता तो जहरीले तत्व खून में बढ़ जाते हैं और दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के लक्षण क्या हैं?
    सोचने में दिक्कत, नींद का बदलना, चक्कर आना, बोलने में परेशानी, और हाथ कांपना इसके मुख्य लक्षण हैं।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के कारण क्या हैं?
    लिवर सिरोसिस, शराब का ज्यादा सेवन, संक्रमण, कब्ज, और पेट की सूजन इसके मुख्य कारण हैं।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का इलाज संभव है?
    हाँ, समय पर इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का इलाज कैसे होता है?
    लैक्टुलोज दवा, एंटीबायोटिक्स, सही खानपान और लिवर ट्रांसप्लांट इलाज के मुख्य तरीके हैं।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में लिवर ट्रांसप्लांट जरूरी होता है?
    अगर लिवर की स्थिति गंभीर हो तो लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी से बचने के उपाय क्या हैं?
    लिवर का ध्यान रखना, शराब से परहेज करना, संक्रमण से बचना और नियमित जांच कराना जरूरी है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में शराब पीना मना है?
    हाँ, शराब पीना लिवर को नुकसान पहुंचाता है और बीमारी बढ़ाता है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के लिए कौन-कौन से टेस्ट होते हैं?
    खून की जांच, लिवर टेस्ट, और दिमाग की MRI या CT स्कैन से पता चलता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी बच्चों में होती है?
    यह ज्यादातर वयस्कों में होती है, लेकिन बच्चों में भी हो सकती है यदि लिवर खराब हो।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में कौन सा खाना खाना चाहिए?
    हल्का, कम प्रोटीन वाला खाना, हरी सब्जियां, फल और ज्यादा पानी पीना चाहिए।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के लिए कौन सी दवाएं दी जाती हैं?
    लैक्टुलोज और कुछ एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में नींद की समस्या होती है?
    हाँ, नींद ज्यादा आना या कम आना आम लक्षण है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी कब हो सकती है?
    जब लिवर फेल हो या गंभीर बीमारी हो तब यह हो सकती है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी से दिमाग पूरी तरह खराब हो जाता है?
    समय पर इलाज से दिमाग का नुकसान रोका जा सकता है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी कितने प्रकार की होती है?
    यह तीन प्रकार की होती है – अचानक (acute), धीरे-धीरे (chronic), और बार-बार आने वाली (recurrent)।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में हाथ कांपना होता है?
    हाँ, हाथ कांपना इस बीमारी का एक आम लक्षण है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में होश खोना संभव है?
    हां, गंभीर अवस्था में होश खोना हो सकता है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में सोचने में दिक्कत क्यों होती है?
    क्योंकि दिमाग पर जहरीले पदार्थों का असर होता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी से मौत भी हो सकती है?
    अगर समय पर इलाज न हो तो यह जानलेवा हो सकती है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी का पता कैसे चले?
    डॉक्टर द्वारा जांच और टेस्ट के बाद ही पता चलता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में दिमाग का MRI जरूरी है?
    जरूरी नहीं लेकिन कुछ मामलों में जांच के लिए किया जाता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में कब्ज का खतरा होता है?
    कब्ज बीमारी को और बढ़ा सकती है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में संक्रमण कैसे होता है?
    लिवर कमजोर होने से शरीर में संक्रमण फैल सकता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी पूरी तरह ठीक हो सकती है?
    समय पर इलाज से ठीक होने की संभावना होती है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के लिए योग फायदेमंद है?
    योग तनाव कम करता है, लेकिन इलाज का विकल्प नहीं है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के मरीज शराब पी सकते हैं?
    नहीं, यह बहुत हानिकारक होता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के दौरान व्यायाम करना चाहिए?
    हल्का व्यायाम करना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के लक्षण कितने दिनों में दिखते हैं?
    कुछ घंटे से लेकर दिनों तक लक्षण दिख सकते हैं।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में भूख कम होती है?
    हाँ, भूख कम होना आम बात है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में कोई घरेलू उपाय हैं?
    सही खानपान और हाइड्रेशन जरूरी है, लेकिन घरेलू इलाज डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के लिए कौन सा डॉक्टर दिखाएं?
    गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट या लिवर स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में दिमाग की सूजन होती है?
    हाँ, दिमाग की सूजन हो सकती है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में बुखार आता है?
    आमतौर पर नहीं, लेकिन संक्रमण से बुखार हो सकता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में याददाश्त कमजोर हो जाती है?
    हाँ, याददाश्त में कमी आ सकती है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में कितनी जल्दी इलाज शुरू करना चाहिए?
    जितनी जल्दी हो सके इलाज शुरू करें।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में दिमाग की थकान होती है?
    हाँ, थकान महसूस होती है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में नींद पूरी करना जरूरी है?
    हाँ, नींद से दिमाग स्वस्थ रहता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में सिरदर्द होता है?
    हाँ, कुछ लोगों को सिरदर्द भी हो सकता है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में क्या बचाव जरूरी है?
    लिवर की देखभाल, शराब बंद करना, और संक्रमण से बचना जरूरी है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी से बचाव के लिए दवा है?
    कोई विशेष दवा नहीं, बचाव जीवनशैली से होता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के मरीज योग कर सकते हैं?
    हल्का योग कर सकते हैं, लेकिन डॉक्टर से सलाह लें।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में वजन कम होता है?
    हाँ, वजन कम होना आम है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में मांसाहार ठीक है?
    कम प्रोटीन वाला मांसाहार सीमित मात्रा में सही हो सकता है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में पानी ज्यादा पीना चाहिए?
    हाँ, पानी ज्यादा पीना जरूरी है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में सिर घुमना सामान्य है?
    हाँ, सिर घुमना एक लक्षण है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में हाथ कांपना होता है?
    हाँ, यह आम लक्षण है।

  • क्या हेपेटिक एन्सेफलोपैथी के मरीज को नियमित जांच करानी चाहिए?
    हाँ, नियमित जांच जरूरी है।

  • हेपेटिक एन्सेफलोपैथी में क्या घरेलू खानपान मदद करता है?
    हल्का, ताजा और पोषक तत्वों से भरपूर खाना मदद करता है।

 

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