मिर्गी (Epilepsy) क्या होती है?
मिर्गी एक सामान्य लेकिन गंभीर दिमागी बीमारी है, जिसमें मरीज को बार-बार दौरे (सीज़र) आते हैं। यह बीमारी तब होती है जब दिमाग की नसों में अचानक बिजली जैसी गतिविधियाँ शुरू हो जाती हैं। इसलिए इसे दिमाग की बीमारी माना जाता है।
भारत में करीब 1 करोड़ से ज़्यादा लोग मिर्गी से पीड़ित हैं। अच्छी बात यह है कि समय पर इलाज से यह पूरी तरह से कंट्रोल हो सकती है।
हालाँकि, अब भी समाज में मिर्गी को लेकर कई गलतफहमियाँ फैली हुई हैं, जैसे:
इन बातों में कोई सच्चाई नहीं है।
मिर्गी के कारण और इलाज को समझना बेहद ज़रूरी है ताकि समय पर सही कदम उठाए जा सकें।
कुछ ज़रूरी बातें जो आपको जाननी चाहिए:
मिर्गी को कैसे पहचाना जाता है?
मिर्गी की पहचान करना आसान नहीं होता, क्योंकि इसके लक्षण व्यक्ति-दर-व्यक्ति अलग हो सकते हैं। फिर भी कुछ आम लक्षण हैं जो मिर्गी की तरफ इशारा करते हैं:
अगर कोई व्यक्ति इन लक्षणों को बार-बार अनुभव करता है, तो यह मिर्गी का संकेत हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
दिमाग और नर्वस सिस्टम में क्या गड़बड़ी होती है?
हमारा दिमाग और नर्वस सिस्टम एक नेटवर्क की तरह काम करता है। इसमें लाखों न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाएँ) होती हैं, जो आपस में बिजली के संकेतों से बात करती हैं। जब यह संकेत सही तरीके से नहीं चलते, तब समस्या शुरू होती है।
मिर्गी में क्या होता है:
इसलिए मिर्गी को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर माना जाता है।
बार-बार दौरे आना क्यों मिर्गी की निशानी है?
कई बार लोगों को एक बार दौरा आ सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वो मिर्गी हो। मिर्गी तभी मानी जाती है जब किसी व्यक्ति को दो या उससे ज़्यादा दौरे बिना किसी स्पष्ट कारण के आएं।
बार-बार दौरे आने के कारण:
इसलिए डॉक्टर जब दूसरा या तीसरा दौरा नोटिस करते हैं, तभी वे मिर्गी की पुष्टि करते हैं।
मिर्गी के कारण और इलाज को समझना क्यों ज़रूरी है?
आज भी बहुत से लोग मिर्गी को लेकर भ्रम में रहते हैं। जबकि यह एक इलाज योग्य स्थिति है। मिर्गी के मरीजों को सही जानकारी, समय पर इलाज और समाज का समर्थन मिलना चाहिए।
समझने योग्य मुख्य बातें:
मिर्गी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। अगर इसके लक्षणों को पहचाना जाए और सही इलाज किया जाए, तो मरीज एक सामान्य, खुशहाल जीवन जी सकता है। ज़रूरत है तो सिर्फ जानकारी, समझदारी और समय पर चिकित्सा की।
मिर्गी होने के मुख्य कारण :-
मिर्गी एक गंभीर लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली दिमागी बीमारी है। यह तब होती है जब दिमाग की कोशिकाएँ असामान्य रूप से काम करने लगती हैं। यह बीमारी हर उम्र के लोगों में हो सकती है। लेकिन कई बार इसके पीछे कुछ खास कारण छुपे होते हैं।
मिर्गी के कारण और इलाज को समझना इसलिए ज़रूरी है ताकि समय रहते बचाव और सही इलाज किया जा सके।
1. जन्म के समय दिमाग को नुकसान
2. सिर पर चोट लगना
3. बुखार के साथ दौरे (बच्चों में)
4. ब्रेन ट्यूमर या स्ट्रोक
5. अनुवांशिक (पारिवारिक) कारण
6. दिमागी इंफेक्शन (जैसे मस्तिष्क ज्वर)
मिर्गी के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन हर कारण को समझना और समय पर इलाज करवाना बहुत ज़रूरी है। चाहे वह सिर की चोट हो या जन्म के समय की कोई जटिलता, अगर मिर्गी के कारण और इलाज की जानकारी सही समय पर मिल जाए, तो इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है।
ध्यान रखने योग्य बातें:
मिर्गी के दौरे कितने प्रकार के होते हैं :-
मिर्गी के कारण और इलाज को समझने से पहले हमें यह जानना ज़रूरी है कि मिर्गी के दौरे एक जैसे नहीं होते। अलग-अलग लोगों में इसके लक्षण भी अलग हो सकते हैं। इसलिए मिर्गी को कई प्रकारों में बांटा गया है। हर प्रकार के दौरे के अलग संकेत होते हैं, जिनकी पहचान करके सही इलाज किया जा सकता है।
A. सामान्य दौरे (Generalized Seizures)
इस प्रकार के दौरे पूरे दिमाग को प्रभावित करते हैं और पूरे शरीर पर असर डालते हैं। यह मिर्गी का सबसे आम और पहचाने जाने वाला रूप होता है।
मुख्य लक्षण:
ध्यान दें:
इस तरह के दौरे अचानक आते हैं, इसलिए मरीज की सुरक्षा सबसे पहले ज़रूरी होती है।
B. आंशिक दौरे (Focal Seizures)
जब दौरे दिमाग के किसी एक हिस्से में शुरू होते हैं, तब इन्हें आंशिक दौरे कहा जाता है। इसमें पूरा शरीर नहीं, बल्कि शरीर का कोई एक हिस्सा प्रभावित होता है।
मुख्य लक्षण:
C. अनुपस्थित दौरे (Absence Seizures)
इस प्रकार के दौरे खासकर बच्चों में देखे जाते हैं। इन्हें पहचानना थोड़ा कठिन होता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत हल्के होते हैं।
मुख्य लक्षण:
D. अन्य प्रकार के दौरे (Other Types)
कुछ दौरे सामान्य या आंशिक नहीं होते, लेकिन फिर भी मिर्गी का हिस्सा होते हैं। ये थोड़े अलग तरह से दिखते हैं।
इनमें शामिल हैं:
यही कारण है कि मिर्गी को समझना आसान नहीं होता और सही निदान बहुत ज़रूरी होता है।
अब हमने जान ही लिया है कि मिर्गी के कितने प्रकार होते हैं, तो यह भी समझिए कि हर दौरा एक जैसा नहीं होता। मिर्गी के कारण और इलाज को समझना तभी संभव है जब हम उसके लक्षणों की सही पहचान करें।
याद रखें:
मिर्गी की पहचान कैसे करें :-
मिर्गी के कारण और इलाज को समझने से पहले, सबसे ज़रूरी है इसकी सही पहचान यानी डायग्नोसिस। अगर मिर्गी की शुरुआत हो रही है और समय पर पहचानी नहीं गई, तो इसका असर मरीज के दिमाग, शरीर और जीवनशैली पर पड़ सकता है। इसलिए जितनी जल्दी बीमारी की पुष्टि हो, उतना ही बेहतर इलाज मिल सकता है।
मिर्गी की पहचान कैसे होती है?
मिर्गी की पहचान कोई एक टेस्ट से नहीं होती। बल्कि डॉक्टर मरीज की पूरी जानकारी, लक्षणों का विश्लेषण, और कुछ ज़रूरी टेस्ट्स की मदद से यह तय करते हैं कि मरीज को मिर्गी है या नहीं।
1. मरीज की पूरी जानकारी (इतिहास लेना)
पहला और सबसे ज़रूरी कदम होता है मरीज का मेडिकल इतिहास जानना। इसमें डॉक्टर कुछ जरूरी सवाल पूछते हैं:
इसलिए, मरीज और उसके परिजनों को हर जानकारी साफ-साफ बतानी चाहिए।
2. EEG टेस्ट क्या होता है और कैसे मदद करता है?
EEG (Electroencephalogram) एक खास टेस्ट है जो दिमाग की इलेक्ट्रिकल गतिविधियों को मापता है। जब दिमाग में कोई असामान्य गतिविधि होती है, तो EEG उसे रिकॉर्ड करता है।
EEG कैसे होता है?
EEG क्यों जरूरी है?
इसलिए, EEG मिर्गी के निदान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3. MRI या CT स्कैन क्यों जरूरी होते हैं?
EEG के साथ-साथ दिमाग की तस्वीरें भी जरूरी होती हैं ताकि किसी अंदरूनी समस्या का पता लगाया जा सके।
MRI (Magnetic Resonance Imaging):
CT Scan (Computed Tomography):
MRI और CT क्यों जरूरी हैं?
मिर्गी की पहचान कोई एक स्टेप में नहीं होती। इसके लिए मरीज की जानकारी, EEG टेस्ट और दिमाग के स्कैन जरूरी होते हैं। जितनी जल्दी मिर्गी का पता चल जाए, उतना ही मिर्गी के कारण और इलाज को समझना आसान होता है।
याद रखें:
मिर्गी का इलाज कैसे किया जाता है :-
मिर्गी के कारण और इलाज की बात करें, तो आज के समय में इसका इलाज संभव है। सही जानकारी और समय पर इलाज से मिर्गी पर काबू पाया जा सकता है। मिर्गी के इलाज में सिर्फ दवाइयाँ ही नहीं, बल्कि ऑपरेशन, विशेष चिकित्सा और घरेलू देखभाल भी अहम भूमिका निभाती है।
A. दवाइयों से इलाज (Medication)
मिर्गी का सबसे सामान्य इलाज दवाओं से किया जाता है। इन दवाओं को Anti-Epileptic Drugs (AEDs) कहा जाता है।
● कौन-कौन सी दवाइयाँ दी जाती हैं?
डॉक्टर मरीज की उम्र, दौरे के प्रकार और स्थिति को देखकर दवा तय करता है। इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें।
● दवाएं कब तक लेनी पड़ती हैं?
याद रखें:
दवा बीच में रोकने से दौरे फिर शुरू हो सकते हैं।
B. ऑपरेशन (Surgery)
जब दवाइयाँ मिर्गी को नियंत्रित नहीं कर पातीं, तब डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते हैं।
● ऑपरेशन कब किया जाता है?
● इसमें कितना खतरा होता है?
C. विशेष चिकित्सा (Special Therapies)
अगर दवाएं और ऑपरेशन दोनों से राहत न मिले, तो कुछ खास तकनीकें अपनाई जाती हैं।
● Vagus Nerve Stimulation (VNS)
D. घरेलू देखभाल (Home Care)
इलाज के साथ-साथ घरेलू देखभाल भी बेहद जरूरी होती है। इससे मिर्गी को लंबे समय तक नियंत्रित रखा जा सकता है।
● क्या करें?
मिर्गी के कारण और इलाज का सही तरीका जानना बहुत जरूरी है। दवा, ऑपरेशन, विशेष चिकित्सा और घरेलू देखभाल — ये सभी मिलकर मरीज की जिंदगी आसान बना सकते हैं। अगर आप या आपके आसपास कोई मिर्गी से जूझ रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लें और इलाज में देरी न करें।
मिर्गी से कैसे बचा जा सकता है :-
मिर्गी एक ऐसी स्थिति है जो किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकती है। हालाँकि हर प्रकार की मिर्गी को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियों से इसके खतरे को ज़रूर कम किया जा सकता है। अगर हम सही जीवनशैली अपनाएं और जरूरी सावधानियाँ बरतें, तो मिर्गी से बचाव के उपाय कारगर साबित हो सकते हैं।
1. सिर की चोटों से बचाव (Head Injury Prevention)
मिर्गी के कई मामलों में सिर पर लगी चोट एक मुख्य कारण होती है। इसलिए हमें रोज़मर्रा की जिंदगी में इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
इन उपायों से न सिर्फ मिर्गी, बल्कि कई अन्य चोटों से भी बचाव हो सकता है।
2. गर्भावस्था में सही देखभाल (Proper Care During Pregnancy)
गर्भ के दौरान मां का स्वास्थ्य सीधे बच्चे के दिमाग पर असर डालता है। यदि गर्भावस्था में सावधानी नहीं बरती जाए, तो बच्चे के दिमाग को नुकसान हो सकता है जो आगे चलकर मिर्गी का कारण बन सकता है।
गर्भावस्था में थोड़ी सी सावधानी भविष्य में बच्चे को मिर्गी से बचा सकती है।
3. संक्रमण से बचाव (Avoid Brain Infections)
दिमाग में होने वाले संक्रमण जैसे मेनिनजाइटिस या मस्तिष्क ज्वर मिर्गी के बड़े कारण बन सकते हैं। लेकिन अच्छी साफ-सफाई और टीकाकरण से इनसे बचाव संभव है।
जब संक्रमण नहीं होगा, तो दिमाग भी सुरक्षित रहेगा और मिर्गी का खतरा कम होगा।
अन्य जरूरी सावधानियाँ जो जरूरी रूप से हमे अपनानी चाहिए :-
इसके अलावा कुछ सामान्य बातें भी हैं जिन्हें अपनाकर मिर्गी के खतरे को कम किया जा सकता है:
मिर्गी से बचाव के उपाय अपनाकर हम इस बीमारी के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। सिर की सुरक्षा, गर्भावस्था की देखभाल और संक्रमण से बचाव जैसे उपाय न सिर्फ मिर्गी से, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से भी बचाते हैं।
मिर्गी से जुड़ी गलतफहमियाँ: जानिए सच क्या है
आज भी कई लोग मिर्गी को लेकर भ्रम में रहते हैं। जानकारी की कमी की वजह से मिर्गी को लेकर समाज में कई गलतफहमियाँ फैल गई हैं। लेकिन अगर हम सच्चाई जान लें, तो मरीज को समझना और उसकी मदद करना बहुत आसान हो जाता है।
मिथक 1: मिर्गी छूने से फैलती है
सच्चाई:
मिर्गी कोई छूने से फैलने वाली बीमारी नहीं है। यह संक्रमण से नहीं होती और न ही मरीज़ को छूने से किसी को मिर्गी हो सकती है।
जानिए क्यों:
इसलिए जब किसी को दौरा पड़े, तो उसकी मदद करने से न डरें।
मिथक 2: मिर्गी भूत-प्रेत या टोटकों की वजह से होती है
सच्चाई:
ये सोच पूरी तरह गलत है। मिर्गी का भूत-प्रेत या जादू-टोना से कोई संबंध नहीं है। यह एक मेडिकल स्थिति है, जिसका इलाज डॉक्टर द्वारा किया जाता है।
ध्यान रखें:
मेडिकल मदद ही इसका सही उपाय है।
मिथक 3: मिर्गी के मरीज सामान्य जीवन नहीं जी सकते
सच्चाई:
मिर्गी के मरीज भी पढ़ सकते हैं, नौकरी कर सकते हैं, शादी कर सकते हैं और बच्चे भी पैदा कर सकते हैं। सिर्फ कुछ सावधानियाँ जरूरी होती हैं।
ये बातें जानना जरूरी है:
समर्थन और सही जानकारी से मरीज को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
अन्य आम गलतफहमियाँ और उनके सच
❌ गलतफहमी
✅ सच्चाई
मिर्गी सिर्फ बचपन में होती है
यह किसी भी उम्र में हो सकती है
मिर्गी वाले बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए
वे सामान्य बच्चों की तरह पढ़ सकते हैं
मिर्गी वाले लोग शादी नहीं कर सकते
वे पूरी तरह सामान्य जीवन बिता सकते हैं
मिर्गी का कोई इलाज नहीं है
इसका इलाज संभव है, बस नियमित देखभाल चाहिए
मिर्गी से जुड़ी गलतफहमियाँ मरीज़ की हालत को और भी कठिन बना सकती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हम सच को जानें और समाज में जागरूकता फैलाएँ। जब हम सही जानकारी रखते हैं, तब हम मिर्गी से जूझ रहे किसी भी व्यक्ति को बेहतर सहायता दे सकते हैं।
सच्ची जानकारी ही सबसे बड़ा इलाज है।
मिर्गी के मरीजों के लिए जीवनशैली सुझाव :-
मिर्गी एक ऐसी स्थिति है जो दिमाग में गड़बड़ी के कारण होती है, लेकिन सही जीवनशैली अपनाकर मिर्गी के मरीज अपनी स्थिति को काबू में रख सकते हैं। यदि आप मिर्गी के मरीज हैं या किसी को जानते हैं, तो जीवनशैली में कुछ बदलाव करने से मिर्गी के दौरे कम हो सकते हैं। मिर्गी के मरीजों के लिए जीवनशैली सुझाव न केवल मिर्गी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, बल्कि मरीज का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर बनाए रखते हैं।
1. योग और ध्यान (Yoga and Meditation)
योग और ध्यान मिर्गी के मरीजों के लिए बेहद लाभकारी हो सकते हैं। ये दोनों मानसिक शांति और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
ध्यान और योग मिर्गी के मरीजों के लिए एक प्राकृतिक उपचार है।
2. खान-पान में क्या सावधानी रखें? (Dietary Tips)
संतुलित आहार मिर्गी के मरीजों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए और कुछ खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो।
एक सही आहार से मानसिक स्थिति बेहतर रहती है और मिर्गी के दौरे की आवृत्ति कम हो सकती है।
3. ट्रिगर से बचाव (Avoiding Triggers)
मिर्गी के मरीजों में अक्सर कुछ खास परिस्थितियाँ या तत्व होते हैं, जो उनके दौरे का कारण बन सकते हैं। इन्हें पहचानना और उनसे बचाव करना जरूरी है।
मिर्गी के ट्रिगर्स को पहचानकर और उनसे बचकर दौरे को कम किया जा सकता है।
मिर्गी के मरीजों के लिए जीवनशैली सुझाव अपनाकर वे अपनी स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं और सामान्य जीवन जी सकते हैं। योग और ध्यान से मानसिक शांति, सही खानपान से शरीर की मजबूती, और ट्रिगर से बचाव से मिर्गी पर काबू पाया जा सकता है। यह जीवनशैली के बदलाव मिर्गी के दौरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion) –
मिर्गी एक ऐसी स्थिति है जो समय पर इलाज और सही जानकारी से नियंत्रित की जा सकती है। मिर्गी के मरीजों को सहारा, समझ और सही उपचार की आवश्यकता होती है। सही दिशा में इलाज से मिर्गी के दौरे कम हो सकते हैं और मरीज का जीवन सामान्य बन सकता है।
कुछ सवाल जवाब मिर्गी के बारे में :-
1. मिर्गी क्या है?
Answer: मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क की गतिविधियाँ असामान्य हो जाती हैं, जिसके कारण दौरे पड़ सकते हैं।
2. मिर्गी के दौरे किस कारण होते हैं?
Answer: मिर्गी के दौरे विभिन्न कारणों से हो सकते हैं, जैसे सिर की चोट, मस्तिष्क संक्रमण, जन्म से संबंधित समस्याएं, और आनुवंशिक कारण।
3. मिर्गी के इलाज के कौन-कौन से तरीके हैं?
Answer: मिर्गी का इलाज दवाइयों, ऑपरेशन और विशेष चिकित्सा (जैसे Vagus Nerve Stimulation) से किया जाता है।
4. मिर्गी के मरीज को क्या खाना चाहिए?
Answer: मिर्गी के मरीजों को संतुलित आहार लेना चाहिए, जिसमें प्रोटीन, ओमेगा-3, और मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा हो।
5. मिर्गी के दौरे से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
Answer: मिर्गी के दौरे से बचने के लिए पर्याप्त नींद, तनाव मुक्त जीवन, और समय पर दवा लेना बहुत जरूरी है।
6. मिर्गी के मरीजों के लिए क्या जीवनशैली अपनानी चाहिए?
Answer: मिर्गी के मरीजों को योग, ध्यान, नियमित व्यायाम और सही आहार अपनाना चाहिए। साथ ही मानसिक तनाव से बचना चाहिए।
7. मिर्गी के दौरे कितने प्रकार के होते हैं?
Answer: मिर्गी के दौरे तीन प्रकार के होते हैं – सामान्य दौरे, आंशिक दौरे और अनुपस्थित दौरे।
8. मिर्गी की पहचान कैसे की जाती है?
Answer: मिर्गी की पहचान EEG टेस्ट, MRI, और मरीज के लक्षणों से की जाती है। डॉक्टर मरीज का इतिहास भी लेते हैं।
9. मिर्गी के दौरे के दौरान क्या करना चाहिए?
Answer: मिर्गी के दौरे के दौरान, मरीज को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं, उनके सिर को संरक्षित रखें, और किसी भी तेज़ वस्तु से दूर रखें।
10. मिर्गी के इलाज के लिए दवाइयाँ कितने समय तक लेनी पड़ती हैं?
Answer: मिर्गी की दवाइयाँ आमतौर पर लंबी अवधि तक लेनी पड़ती हैं, कुछ मरीजों को जीवनभर दवा लेनी होती है।
11. मिर्गी के मरीजों को कितनी नींद लेनी चाहिए?
Answer: मिर्गी के मरीजों को हर दिन 7-8 घंटे की नींद पूरी करनी चाहिए, क्योंकि नींद की कमी दौरे का कारण बन सकती है।
12. मिर्गी से बचने के लिए कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
Answer: मिर्गी से बचने के लिए सिर की चोटों से बचें, समय पर इलाज करवाएं, और ट्रिगर तत्वों से दूर रहें।
13. मिर्गी का इलाज ऑपरेशन से कैसे होता है?
Answer: जब दवाइयाँ प्रभावी नहीं होतीं, तो ऑपरेशन किया जाता है, जिसमें मस्तिष्क के उस हिस्से को हटाया जाता है, जिससे दौरे आते हैं।
14. मिर्गी के मरीजों को कौन सी दवाइयाँ दी जाती हैं?
Answer: मिर्गी के मरीजों को एंटी-एपिलेptic दवाइयाँ दी जाती हैं, जैसे की फेनोबार्बिटाल, कार्बामाज़ेपिन, और वलप्रोइक एसिड।
15. मिर्गी के दौरे कब और क्यों आते हैं?
Answer: मिर्गी के दौरे विभिन्न कारणों से आते हैं, जैसे तनाव, नींद की कमी, अधिक शराब का सेवन, या किसी प्रकार का संक्रमण।
16. मिर्गी के मरीजों के लिए योग और ध्यान कैसे मददगार होते हैं?
Answer: योग और ध्यान से मानसिक तनाव कम होता है, जिससे मस्तिष्क की सक्रियता संतुलित रहती है और दौरे कम हो सकते हैं।
17. मिर्गी के मरीजों को क्या घर पर देखभाल करनी चाहिए?
Answer: मिर्गी के मरीजों को नियमित दवा, पर्याप्त नींद, और मानसिक शांति बनाए रखने के लिए ध्यान और आराम करना चाहिए।
18. मिर्गी के मरीजों के लिए ट्रिगर से बचने के उपाय क्या हैं?
Answer: मिर्गी के मरीजों को तेज़ रोशनी, मानसिक तनाव, नींद की कमी, और कुछ दवाइयों से बचना चाहिए।
19. क्या मिर्गी से पूरी तरह से बचा जा सकता है?
Answer: मिर्गी से पूरी तरह बचाव संभव नहीं है, लेकिन सही इलाज और जीवनशैली से दौरे नियंत्रित किए जा सकते हैं।
20. मिर्गी के मरीजों के लिए सहारा और समझ क्यों जरूरी है?
Answer: मिर्गी के मरीजों को सहारा और समझ की आवश्यकता होती है ताकि वे मानसिक रूप से मजबूत रहें और अपनी स्थिति को बेहतर तरीके से संभाल सकें।
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